कुरुक्षेत्र के चौराहों के नाम होंगे महाभारत थीम पर:EV बसों से कराई जाएगी 48 कोस परिक्रमा

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की 82वीं बैठक बुधवार को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में हुई, जिसमें मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी शामिल हुए। बैठक में कुरुक्षेत्र सिटी के कई विकास प्रोजेक्टों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में सीएम सैनी ने कहा, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर पहचान मिले। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाएं कि अगर कोई यहां आएं तो उसे एहसास हो कि वो उस पवित्र धरा पर आया हैं, जो महाभारत के इतिहास से जुड़ी है।

इसके लिए यहां पर धार्मिक और पर्यटन के नजरिए से हमें पर्यटकों के लिए आधुनिक व्यवस्थाएं करनी होगीं। बैठक के दौरान बोर्ड के पदाधिकारियों और अधिकारियों के समक्ष कुरुक्षेत्र के विकास के पहलुओं को लेकर चर्चा हुई, जिसमें सफाई व्यवस्था, सरोवर के रख रखाव, नवीनीकरण और ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था करने के साथ साथ मेला एरिया में विकास को लेकर चर्चा हुई है। बैठक में अलग अलग स्थानों पर चल रहे विकास कार्यो की समीक्षा की गई, साथ ही प्रोजेक्ट्स में तेजी लाने के निर्देश भी दिए गए।

 

महाभारत की थीम आएगी नजर

मीटिंग में धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के समग्र विकास को लेकर कई पहलुओं पर चर्चा हुई है। खास तौर पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कुरुक्षेत्र में चौक और प्रवेश द्वार को चिन्हिृत करने के निर्देश भी दिए है। इन्हें महाभारत की थीम का रुप दिया जाएगा। ज्योतिसर की तरफ से आने वाले रास्ते पर लगे सुदर्शन चक्र को भी दोबारा बनाया जाएगा।

जिसमें लाइटिंग करने के साथ साथ भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा भी स्थापित होगी। साथ ही बैठक में ब्रह्मसरोवर के प्रवेश द्वार के नाम भी तय करने बारे चर्चा हुई। ज्योतिसर तीर्थ परिसर के आसपास ग्रीनरी की व्यवस्था करने के भी संबंधित विभाग को निर्देश दिए गए है। इसके अलावा पूरे शहर के पेंटिंग और रेलवे ब्रिज के नजदीक भी श्लोक इत्यादि लिखने बारे भी बैठक में चर्चा हुई है।

इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी, पास भी बनेंगे

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की मीटिंग में निर्णय हुआ है कि कुरुक्षेत्र में इलेक्ट्रिक बस चलाई जाएंगी। इन बसों को 48 कोस के अंतर्गत आने वाले तीर्थों के साथ कनेक्ट किया जाएगा। बसों के अंदर रुट मैप भी लगाया जाएगा, साथ ही डेलीवेज पास की व्यवस्था भी रहेगी। बैठक में मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि डेलीवेज पास ना सिर्फ बस में चलेंगे साथ ही कुरुक्षेत्र में बने अलग अलग स्थलों पर भी एंट्री पास के रुप में भी काम आ सकेंगे। इसके साथ ही बैठक में 48 कोस के बारे में बताया गया कि बोर्ड के अधिकारियों की कमेटी द्वारा 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि में पहले चिह्नित 164 तीर्थ स्थलों के अतिरिक्त अब 18 नए तीर्थों के सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया है।

इन स्थलों पर होने वाले निर्माण के डिजाइन आदि को लेकर एक पीपीटी भी दिखाई गई, जिसमें विस्तार से बताया गया कि इनका डिजाइन एक तरह का होगा, साथ ही इस्तेमाल होने वाले रंग, प्रवेश द्वार, पार्क, हॉल आदि भी एक प्रकार के ही बनेंगे।

4 इन्फॉर्मेशन सेंटर बनाने के निर्देश

​​​​​​​धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में आने वाले तीर्थ यात्रियों अथवा पर्यटकों को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो, इसके लिए बाकायदा 4 इंफॉर्मेशन सेंटर के कार्य को 15 अक्टूबर तक पूरा करने के निर्देश दिए गए है। यह सेंटर पिपली के बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन तथा ज्योतिसर में रेलवे स्टेशन और केडीबी पर बनेंगे। इन सेंटर्स के जरिए कोई भी व्यक्ति कुरुक्षेत्र के बारे में कुछ भी जान सकेंगे।

बकायदा इनके पास कुरुक्षेत्र की जानकारी मुहैया करवाने वाले पोस्टर एवं बुकलैट भी उपलब्ध रहेगी। जिनमें होटल, टूरिस्ट पैलेस, मुख्य जानकारी सहित कई पहलुओं का समावेश होगा।

इतिहास से करवाया जाएगा रूबरू

​​​​​​​मीटिंग के दौरान कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि यहां स्थापित होने वाली प्रतिमा तथा ऐतिहासिक स्थलों के पास बोर्ड भी लगाना सुनिश्चित किया जाएं। इन बोर्ड पर उस एरिया के इतिहास का उल्लेख हो। जैसे अगर वहां बाण गंगा की प्रतिमा है तो बताया जाए कि इसके पीछे का इतिहास क्या है। साथ ही ऐसे ही भीष्म कुंड तथा अन्य जगहों को चिन्हित कर उनके सौंदर्यीकरण के साथ साथ इस प्रकार के पहलुओं को अंकित किया जाएं।

गवर्नर बोले- गांवों को भी जोड़ना जरूरी

राज्यपाल एवं बोर्ड अध्यक्ष बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि देशभर में कुरुक्षेत्र की विस्तृत पहचान बने, इसके लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। कुरुक्षेत्र का एक बड़ा धार्मिक महत्व है, ऐसे में एक भव्य अध्यात्मिक नगरी के रुप में इसके विस्तार को लेकर हमारी परिकल्पना होनी चाहिए। इसके बोर्ड में देश भर के विद्वान एवं प्रतिष्ठित लोगों को जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि 48 कोस के अंतर्गत आने वाले तीर्थ स्थलों को लेकर साल में कम से कम 48 उत्सव इन गांवों में मनाने चाहिए। इनमें जनप्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ साथ जिन गांवों में ये तीर्थ स्थल है, उनकी सहभागिता भी जोड़ी जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *