‘चार घंटे, दो मीटिंग, राजनाथ सिंह का दफ्तर’, उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे के पीछे सेहत या कुछ और?

जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की देर शाम खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन आया है. मानसूत्र सत्र में वो पूरे दिन एक्टिव दिखे. पूरे दिन सदन को चलाया भी. मगर शाम को अचानक इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के पीछे सच में सेहत है या कोई सियासत? इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं. विपक्ष से लेकर राजनीति के जानकार तक, अचानक इस्तीफे की बात किसी को पच नहीं रही.

 

मानसून सत्र के पहले दिन एक्टिव दिखे

इंडिया टुडे की सीनियर रिपोर्टर मौसमी सिंह बताती हैं कि मानसून सत्र के पहले दिन जगदीप धनखड़ पूरी सक्रियता से संसद में दिखे. संसद में उन्होंने कई मीटिंग भी ली. 21 जुलाई की शाम 6 बजे उन्होंने विपक्ष के सांसदों से मुलाकात भी की. इस दौरान उन्होंने खराब स्वास्थ्य का कोई जिक्र नहीं किया था. लेकिन 3 घंटे बाद ही उनका इस्तीफा हो गया.

23 जुलाई को जयपुर दौरा तय था

जगदीप धनखड़ का ये फैसला इसलिए भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि उनके आगे के कार्यक्रम भी प्रस्तावित थे. 23 जुलाई को उनको जयपुर जाना था. वहां उपराष्ट्रपति रियल एस्टेट डेवलपर्स संघ के साथ संवाद करने वाले थे. उपराष्ट्रपति सचिवालय की ओर से इस कार्यक्रम को लेकर प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की गई थी.

विपक्ष टाइमिंग पर सवाल उठा रहा है

जगदीप धनखड़ के खिलाफ महाभियोग लाने वाला विपक्ष भी उनके अचानक इस्तीफे से हैरान हैं. विपक्षी नेताओं ने इसको लेकर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने उपराष्ट्रपति के इस कदम को रहस्यमयी बताया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा,

 

मैं शाम तकरीबन 5 बजे तक उनके साथ था. कई दूसरे सांसद भी मौजूद थे. इसके बाद शाम 7.30 बजे मैंने उनसे फोन पर बात भी की थी. इसमें कोई संदेह नहीं कि धनखड़ को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए. लेकिन यह स्पष्ट है कि उनके इस पूरी तरह से अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक कुछ है.

 

सवाल उठ रहे हैं कि 21 जुलाई की शाम 6-7 बजे तक जगदीप धनखड़ एकदम एक्टिव थे. मगर अचानक तीन घंटे में क्या हुआ कि इस्तीफा देना पड़ा? मानसून सत्र से पहले फ्लोर लीडर्स से मिलना और दोपहर में बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के साथ दो दौर की मीटिंग. ऐसा कुछ भी नहीं था, जिससे संकेत मिले कि धनखड़ इस्तीफे की योजना बना रहे हैं. जयराम रमेश ने इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की है.

21 जुलाई को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) के साथ दो दौर की मीटिंग की. जयराम रमेश ने BAC की दूसरी मीटिंग में बीजेपी नेताओं की अनुपस्थिति को उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की क्रोनोलॉजी से जोड़ा है. उन्होंने एक्स पर लिखा,

जगदीप धनखड़ ने दिन में 12.30 बजे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक बुलाई. सदन (राज्यसभा) के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत लगभग सभी सदस्य इस बैठक में मौजूद रहे. कुछ देर की चर्चा के बाद तय हुआ कि कमेटी शाम को 4.30 बजे फिर से बैठेगी. शाम को 4.30 बजे जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में सभी सदस्य फिर से बैठक के लिए जुटे. इस दौरान जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू का इंतजार हुआ, लेकिन वो नहीं आए. उन्होंने उपराष्ट्रपति को बैठक में नहीं आने की जानकारी भी नहीं दी. उपराष्ट्रपति ने उनकी अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई और BAC की मीटिंग 22 जुलाई को 1 बजे के लिए रिशेड्यूल कर दिया. 

 

जयराम रमेश ने आगे अंदेशा जताया है कि 21 जुलाई को दोपहर 1 बजे से शाम 4.30 बजे के बीच कुछ बेहद गंभीर घटना हुई है, जिसके चलते जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू BAC की दूसरी मीटिंग में जानबूझकर नहीं पहुंचे.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की वजह पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने बताया,

 21 जुलाई की शाम 5.45 बजे मैं उनकी केबिन से बाहर निकला. हमारे साथ जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी भी थे. हमारी जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. लेकिन उस समय लगा ही नहीं कि उनकी तबीयत खराब है.

महाभियोग पर विपक्ष का नोटिस स्वीकार किया

21 जुलाई को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव पर विपक्षी सांसदों के नोटिस को भी स्वीकार किया था. इसकी टाइमिंग थी दोपहर के दो बजे. इससे पहले खबर आई थी कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के 145 सांसदों ने लोकसभा में जस्टिस वर्मा के महाभियोग के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं.

शाम को लगभग 4 बजे राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने महाभियोग प्रस्ताव पर 63 विपक्षी सांसदों से नोटिस प्राप्त होने की घोषणा की. उन्होंने उस प्रक्रिया का जिक्र किया जब किसी जस्टिस के महाभियोग प्रस्ताव पर दोनों सदनों में नोटिस दिए जाते हैं. फिर उन्होंने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से ये पुष्टि करने के लिए भी कहा कि क्या निचले सदन (लोकसभा) में नोटिस दिया गया है. फिर उन्होंने एक संयुक्त समिति के गठन और नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई की बात कही.

कैबिनेट मंत्रियों के साथ बैठक में दबाव बनाया गया?

जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा देने से पहले टॉप कैबिनेट मिनिस्टर्स के साथ बैठक की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार में दूसरे,तीसरे और चौथे नंबर के कैबिनेट मंत्रियों के साथ उपराष्ट्रपति की संसद परिसर में बैठक हुई. ये मीटिंग 20 से 25 मिनट तक चली. इसके बाद तीनों मंत्रियों की अलग से भी बैठक हुई. ये पूरा घटनाक्रम 21 जुलाई की शाम 7.15 से 7.50 मिनट तक है. इसके लगभग डेढ़ घंटे बाद उपराष्ट्रपति का इस्तीफा हो गया.

21 जुलाई की शाम रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय के बाहर खूब गहमागहमी रही. यहां कई बैठकें भी आयोजित की गईं. इंडिया टुडे की सीनियर रिपोर्टर मौसमी सिंह ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बीजेपी के सांसद राजनाथ सिंह के कार्यालय में घुसे और बिना एक शब्द बोले भी बाहर निकल गए. एक बीजेपी सांसद ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उनसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवाए जा रहे थे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *