नवांशहर के गांव लंगड़ोया का बदल गया भाग्य, बना ‘नशा मुक्त पिंड’, अब होने लगी हैं शादियां

 मुख्यमंत्री भगवंत मान व आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) के लंगड़ोया गांव से शुक्रवार को ‘नशा मुक्ति यात्रा’ की शुरुआत की।

इस अवसर पर विशेष यह रहा कि कभी नशे का गढ़ कहलाने वाले लंगड़ोया गांव ने अपने को ‘नशा मुक्त पिंड’ घोषित किया। स्वयं मुख्यमंत्री मान व केजरीवाल ने गांव के लोगों को बधाई दी और और दूसरी पंचायतों के लिए इसे एक प्रेरणादायक उदाहरण बताया।

मुख्यमंत्री की सराहना पाने वाला लंगड़ोआ पांच वर्ष पहले तक नशे की अंधी गलियों में फंसकर रह गया था, पर गांववालों को सद्बुद्धि आई और पंचायत व पुलिस का सहयोग मिलने से यह गांव अपना कायाकल्प करने में सफल रहा। वापसी का मार्ग कठिन था पर असंभव संभव हो गया।

नहीं होती थी शादी

बात लगभग छह वर्ष पहले की है, लंगडोया गांव के सुशील कुमार को 38 वर्ष की आयु में दूसरी शादी करनी थी, दो बार मध्यस्थों ने शादी की बात चलाई लेकिन हर बार गांव के नाम पर आकर लड़की के परिजनों ने मना कर दिया। जिले के इस गांव को नशा तस्करों व नशे में डूबे लोगों का अड्डा कहा जाता था। आसपास तो छोड़िये, दूरदराज तक के लोगों ने इस गांव में अपनी बेटियों की शादी करने से इनकार कर दिया था। ऐसे अनेक अविवाहित युवा देखते-देखते प्रौढ़ हो गए।

गांव में लगभग 200 नशा तस्कर

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार पांच हजार की आबादी के इस गांव में लगभग 200 नशा तस्कर रह रहे थे। नशा करने वालों की संख्या तो अलग थी। पुलिस की नाकाबंदी में भले ही किसी को भी छोड़ दिया जाता था, यदि वहां से निकलने वाला व्यक्ति लंगडोया का होता था तो उसकी गाड़ी की तलाशी तो जरूर ली जाती थी। किसी सरकारी दफ्तर में जाते थे तो वहां भी गांव वालों को कोई अच्छी नजर से नहीं देखता था। सरपंच गुरदेव बताते हैं कि गांव में दूसरे नशे का चलन तो पचास-साठ वर्षों से है लेकिन दस वर्ष पहले चिट्टा (हेरोइन)आने के बाद तो सब तबाह हो गया।

लगातार प्रयासों ने बदली गांव की सूरत

नशे के दलदल में डूबे गांव के जवान लड़के खोखले हो गए। अनेक की मौत हो गई। पुलिस ने उनको बताया था कि गांव में 178 लोगों के खिलाफ नशा तस्करी के पर्च दर्ज हैं। लगभग पांच वर्ष पहले गांव के लोगों ने नशे की अंधी गलियों से बाहर निकलने का फैसला किया। लगातार प्रयासों ने पांच वर्ष में गांव की सूरत बदल दी। गांव के लगभग सत्तर युवक पिछले पांच वर्षों में इंग्लैड जाकर काम कर रहे हैं। चालीस से पचास लड़के फुटबाल खेल रहे हैं। इनमें कुछ अलग-अलग विश्वविद्यालयों की टीमों में भी शामिल हैं। पिछले दो-तीन वर्षों से गांव में डोलियां आने लगी हैं।

सरकार ने हमारे प्रयास को किया मान्य

सरपंच गुरदेव सिंह कहते हैं, उनको बेटी से मिलने ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट से न्यूयार्क जाना था लेकिन गांव की साख का सवाल था और मुख्यमंत्री आ रहे थे तो वह रुक गए। गांव को नशा मुक्त घोषित करने के बाद हमने ऐसा कोई आवेदन नहीं दिया था कि सरकार हमारे प्रयास को मान्यता दे परंतु हो सकता है कि सरकार ने पुलिस रिकॉर्ड देखकर मान लिया है कि लंगड़ोया गांव से नशे की दाग हट गया है। संभवत: इसीलिए हमारे गांव में समारोह आयोजित किया गया।

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