आम आदमी पार्टी (AAP) की अगुवाई वाली सरकार की ओर से पंजाब विधानसभा में पेश बेअदबी विरोधी विधेयक पर आज मंगलवार को चर्चा पूरी हो गई है. चर्चा के बाद विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भी भेज दिया गया है. अब यह सेलेक्ट कमेटी धार्मिक संस्थाओं, धर्मगुरुओं के साथ-साथ आम जनता से भी इस विधेयक को लेकर राय लेगी.
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कल सोमवार को विधानसभा में ‘पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक 2025’ (The Punjab Prevention of Offences Against Holy Scripture (s) Act, 2025) पेश किया गया. पंजाब विधानसभा में आज धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी विरोधी विधेयक पर चर्चा पूरी हुई. चर्चा के बाद विधेयक को फिलहाल पास नहीं किया गया, बल्कि CM मान के प्रस्ताव पर इसे सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया.
सेलेक्ट कमेटी के पास 6 महीने का वक्त
विधेयक अब सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया है. यह कमेटी धार्मिक संस्थाओं, धर्मगुरुओं और आम जनता से भी राय लेगी. कमेटी को इसके लिए 6 महीने का समय तय किया गया है. इसके बाद इस बिल को दोबारा विधानसभा में पेश किया जाएगा.
इससे पहले कल विधानसभा में बेअदबी विरोधी विधेयक पेश किया, जिसमें धार्मिक ग्रंथों का अनादर करने के आरोप में आजीवन कारावास तक की सजा देने का प्रावधान किया गया है. विधेयक के पेश होने से पहले विधानसभा के स्पेशल सेशन के तीसरे दिन की शुरुआत से पहले, सीएम मान की अगुवाई में हुई बैठक में इस विधेयक को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी थी. विधेयक को लेकर विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने बेअदबी के मुद्दे को गंभीर बताया.
बेअदबी के दोषियों को मिलेगी कड़ी सजा
कैबिनेट की बैठक के बाद एक आधिकारिक प्रवक्ता ने इसके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विधेयक में श्री गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद्गीता, बाइबिल और कुरान समेत कई पवित्र ग्रंथों के अपमान के लिए आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया गया है. इस कानून के लागू होने से राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव, भाईचारे, शांति और सौहार्द की भावना को और मजबूत करेगा. इस कानून में इसके दोषियों को कड़ी सजा सुनिश्चित की गई है.
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि गुरु ग्रंथ साहिब और अन्य धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी से संबंधित पहले कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे जन भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची और समाज में अशांति तक पैदा हो गई थी. प्रस्तावित कानून के तहत, बेअदबी का दोषी पाए जाने पर दोषी को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. साथ ही इसकी कोशिश करने वालों को 3 से 5 साल तक की सजा हो सकती है, जबकि अपराध में सहयोग करने वाले व्यक्तियों को किए गए अपराध के अनुसार सजा दी जाएगी.