वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर मेथनॉल के गलत इस्तेमाल पर सख्त कानून की मांग की है। उन्होंने यह चेतावनी दी है कि मेथनॉल का अत्यधिक और गैर-वैध उपयोग देशभर में जहरीली शराब के मामलों को बढ़ा रहा है, जो कि अब जानलेवा साबित हो रहा है। उनका कहना है कि यदि इस दिशा में शीघ्र और कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और भी बढ़ सकता है।
-मेथनॉल का गलत इस्तेमाल बढ़ा रहा खतरा
हरपाल सिंह चीमा ने पत्र में उल्लेख किया कि औद्योगिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने वाला मेथनॉल अब अपराधियों के हाथों में एक घातक हथियार बन चुका है। उनका कहना है कि पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरे देश में यह मादक पदार्थ अब अवैध रूप से शराब बनाने में इस्तेमाल हो रहा है। मेथनॉल से बनी शराब न केवल स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक है, बल्कि यह जीवन को भी खतरे में डाल रही है।
-केंद्र से कड़े कानून की मांग
वित्त मंत्री ने केंद्र से मांग की है कि मेथनॉल पर नियंत्रण के लिए एक सख्त कानून बनाया जाए। उनका कहना है कि ‘इंडस्ट्री एक्ट 1951’ के तहत मेथनॉल के उपयोग के लिए सख्त नियम लागू किए जाने चाहिए, ताकि इसका अवैध उपयोग रोका जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए, क्योंकि स्थिति गंभीर हो चुकी है और किसी भी प्रकार की ढिलाई या लापरवाही से जानमाल का नुकसान हो सकता है।
-जहरीली शराब का बढ़ता संकट
मेथनॉल का अवैध इस्तेमाल शराब में मिलाकर पीने से जहरीली शराब के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। मेथनॉल, जिसे शराब बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, शरीर में अवशोषित होने पर दिल, लीवर, और किडनी पर गंभीर असर डालता है। यह न केवल विकलांगता का कारण बन सकता है, बल्कि कई मामलों में मृत्यु का कारण भी बन चुका है।
हरपाल सिंह चीमा ने पंजाब और अन्य राज्यों में जहरीली शराब से हो रही मौतों का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इस दिशा में कड़े कदम उठाने चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “हमारे राज्य में कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोग जहरीली शराब पीने से अपनी जान गवां चुके हैं। यह संकट अब पूरे देश में फैल चुका है और इसे तत्काल रोकने के लिए मजबूत क़ानून की आवश्यकता है।”
-सरकार के अगले कदम
वित्त मंत्री ने इस पत्र में सरकार से यह भी अनुरोध किया कि मेथनॉल के उत्पादन और वितरण पर कड़ी निगरानी रखी जाए और संबंधित अधिकारियों को इसके अवैध उपयोग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की दिशा में निर्देशित किया जाए। उनके अनुसार, यह समय की मांग है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई करें ताकि लोगों की जान और स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।