पंजाब के स्कूलों में अब नशा मुक्ति विषय को लेकर क्लास चलाई जाएगी। प्रदेश में 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों को नशे से बचने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। हर 15 दिन में 35 मिनट की एक कक्षा के माध्यम से बच्चों को फिल्मों, क्विज और खेलों के जरिए सिखाया जाएगा कि उन्हें नशों से दूर क्यों और कैसे रहना चाहिए।
इस पहल की शुरुआत आज पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा की गई है। इससे पहले उन्होंने स्टूडेंट्स से मुलाकात की है। जल्दी ही वह समागम को संबोधित करेंगे। सरकार का दावा है कि पंजाब नशा मुक्ति विषय को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
हमने एक पकड़ा, सभी पार्टियों को दर्द हो रहा है
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यह लोग तो महल बनाते हैं, पहाड़ों में ज़मीनें खरीदते हैं, और हजारों करोड़ रुपए अपने अकाउंट में जमा करवाते हैं। आपके बच्चे गनमैनों के साथ स्कूल जाते हैं। लेकिन पंजाब के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया। जब हमने एक को पकड़ा, तो उसके साथी नेताओं को बहुत दुख हुआ। अकाली दल, बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं को इससे तकलीफ हुई है। अब वह नाभा जेल में है। उन लोगों को भी अब दुख है जो कि 2021 से 2024 तक ये कहते रहे कि ‘हमारी सरकार आई तो उसके गले में रस्सी डालकर थाने में लेकर जाएंगे।’ लेकिन अब जब उसे जेल भेजा गया, तो इन नेताओं को दर्द हो रहा है। हमारी सरकार की रेत, बजरी, होटल या किसी व्यापार में कोई हिस्सेदारी नहीं है। लेकिन जिनके पास पहले सत्ता थी, उन्होंने बिजनेस, पहाड़ और आमदनी के हर साधन में हिस्सेदारी ले रखी थी। उन्होंने पंजाब को लूट कर खा लिया।
मंत्री की गाड़ी से नशा सप्लाई होता है तो क्या होगा
सीएम ने कहा कि जब किसी मंत्री की गाड़ी में चिट्टे (ड्रग्स) के पैकेट जाते हों, और मंत्री अपने घर में नशे के सौदागरों को रखता हो, तो फिर क्या हाल होगा? जिस बाग का माली बेइमान हों, उसका बाग तो उजड़ना ही है। हम चाहते हैं कि हर गांव में दो-चार अच्छे माली तैयार हों — जो बच्चों को संभाल सकें, उन्हें नशे से दूर रख सकें। शुक्र है कि वे अब सत्ता में नहीं हैं। आज सारा पंजाब कह रहा है कि ‘थोड़ी शांति मिली है।’ अब वे पूछ रहे हैं कि ‘क्या वह बाहर तो नहीं आ जाएगा?’ हम उन्हें जवाब दे रहे हैं — ‘चिंता मत करो, हम अच्छे वकील भेजेंगे।’
3 सालों में बदल दी स्कूलों की सूरत
पंजाब के शिक्षामंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा “आप सब जानते हैं कि 2022 में पंजाब के स्कूलों की क्या हालत थी। शिक्षक अपनी जेब से पैसे खर्च करके स्कूलों को सुधारने की कोशिश करते थे। अपने बच्चे वे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते थे, जबकि सरकारी स्कूलों में केवल गरीबों के बच्चे ही पढ़ते थे।
लेकिन पिछले 3 वर्षों में स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब सरकारी स्कूलों में सारी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। स्कूल बस और कैंपस मैनेजर जैसी व्यवस्थाएं दी जा रही हैं। यह सब शिक्षकों की मेहनत का नतीजा है।
आज हमारे सरकारी स्कूलों के बच्चे नीट और जेईई जैसी परीक्षाओं में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार के सर्वे में पंजाब के स्कूल देश में नंबर एक पर आए हैं। दिल्ली में हुई एक बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि ‘आपके शिक्षा मॉडल की देशभर में चर्चा हो रही है, हम अपनी टीम भेजना चाहते हैं इसे देखने के लिए।’
2009 में हुई नशे की शुरुआत
शिक्षामंत्री ने कहा कि हमारे शहीदों ने बहुत कठिनाइयों से देश को आजाद करवाया था। लेकिन आजादी के 60–70 साल बाद ऐसी सरकारें आई, जिन्होंने नशे का व्यापार शुरू कर दिया। नशे की शुरुआत 2009 में कुछ लोगों ने की, और 2015 तक नशा करने वालों की संख्या 9 लाख तक पहुंच गई। आप ही बताइए, उस समय किस पार्टी की सरकार थी?
एक सिंगर ने उस दौर में गाना गाया था- ‘सरकार ही नशा बिकादी है’ लेकिन आज की सरकार नशे को लेकर कोई रियायत नहीं बरत रही। नशा तस्करों को जेल भेजा जा रहा है, और अब तक 600 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति अटैच की जा चुकी है। सेहत विभाग भी पूरी जिम्मेदारी से अपना काम कर रहा है।
नए सिलेबस में दो चीजों पर जोर
उन्होंने कहा कि अब हम केवल सजा नहीं दे रहे, बल्कि बच्चों की सोच बदलकर समाज को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं। इसलिए नया सिलेबस शुरू किया है। इसलिए दो चीजों बच्चे फोकस करेंगे। वह खुद नशे के दलदल में नहीं जाएगा। वहीं, वह अपने आस पड़ोस के किसी को भी नशे की दलदल में नहीं जान देगा। इससे बड़ी शहीद भगत सिंह को श्रद्वांजलि नहीं होगी।
3658 सरकारी स्कूलों 8 लाख स्टूडेंट्स पढ़ेंगे
इस पाठ्यक्रम को नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी की टीम ने तैयार किया है, और इसे देशभर के वैज्ञानिकों और शिक्षा विशेषज्ञों ने सराहा है। कार्यक्रम के अंतर्गत, 27 हफ्तों तक हर 15वें दिन 35 मिनट की एक कक्षा आयोजित की जाएगी।
इस अभियान के तहत 3 हजार 658 सरकारी स्कूलों के लगभग 8 लाख छात्र जुड़ेंगे। उन्हें पढ़ाने के लिए 6 हजार 500 से अधिक शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। यह पहली बार है जब कोई राज्य सरकार नशे के खिलाफ इतना ठोस और दूरदर्शी कदम उठा रही है।
कोर्स में बच्चों को फिल्में दिखाई जाएंगी, प्रश्नोत्तरी करवाई जाएगी, पोस्टर, वर्कशीट और इंटरएक्टिव गतिविधियों के माध्यम से उनकी सोच को मजबूत किया जाएगा।
23000 अधिक नशा तस्कर काबू किए
मार्च 2025 से शुरू हुए ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान के तहत अब तक 23 हजार से अधिक नशा तस्करों को जेल भेजा जा चुका है, और इस दौरान एक हजार किलो से अधिक हेरोइन जब्त की जा चुकी है। साथ ही नशा तस्करों की कई करोड़ की संपत्तियां सरकार द्वारा जब्त की गई हैं। लेकिन सरकार मानती है कि केवल सजा से समाधान नहीं होगा। असली बदलाव तब आएगा जब हर बच्चा खुद कहे – “मैं नशे से दूर रहूंगा।”