पीएम के विदेश दौरे पर फिर CM मान का तंज:कहा-जहां 140 लोग करोड़ रहते है

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान गुजरात दौरे पर है। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों पर तंज कसा है। उन्होंने कहा, “ये संसद में किसी को बोलने नहीं देते, जहां आपके मुद्दे उठते हैं। संसद शुरू हुई और मोदी जी खुद इंग्लैंड चले गए। राज्यसभा के सभापति ने इस्तीफा दे दिया।

भाई साहब, संसद किस बात के बुलाई थी? आकर बुला लेते। एक देश में तो जाते नहीं है, अभी मालदीव जाएंगे, कोई और देश पसंद आ गया तो वहीं विमान उतार देते हैं। जहां 140 करोड़ लोग रहते हैं, वहां रहना पसंद नहीं। थोड़ी देर गई है, आखिर में वहीं जाकर रहना है? कबूतर की तरह आंखें बंद करने से समस्या खत्म नहीं होती।”

सीएम ने कहा कि समस्याएं हल करनी पड़ेगी, जब भी हमे बुलाओगे तो हम आ जाएंगे। यहां पर कांग्रेस विकल्प नहीं है। क्योंकि कांग्रेस भाजपा से मिली हुई है। ऐसे आप झाड़ू को तीसरे विकल्प के रूप में चुने। बटन दबाने से किस्मत बदल जाएगी।

 

पंजाब में भी पहले ऐसे चल रहा था

सीएम मान ने गुजरात में कहा कि पहले पंजाब में भी यहां जैसा हाल था। वहां पर दो पार्टियां थीं, जो आपस में मिली हुई थीं। 5 साल तुम शासन करो, 5 हम करेंगे। “हम आ गए तो तुम्हें कुछ नहीं करेंगे, और अगर तुम सत्ता में आए तो तुम हमें कुछ नहीं कहना।” लेकिन यहां तो 30 साल से एक ही पार्टी चल रही है।

उन्होंने कहा कि अब विकल्प आ गया है। जनता भाजपा को वोट देने के लिए तैयार नहीं है। उनके पास कोई विकल्प नहीं है। कांग्रेस वाले खुद भी कह देते थे, “इनको ही डाल दो।” हम खेतों वाले हैं। हमारे आने से यह पैसे देने के लिए तैयार हो गए हैं।

जल शक्ति मंत्री दूध के मामले निपटा रहे हैं

मुख्यमंत्री ने कहा कि सीआर पाटिल देश के जल शक्ति मंत्री हैं, लेकिन यहां वे दूध के मामले निपटाने में लगे हुए हैं। अब पता नहीं पानी में दूध मिलाते हैं या दूध में पानी! कुछ समय पहले ये पंजाब और हरियाणा के बीच वर्षों से चले आ रहे जल विवाद को सुलझा रहे थे, और अब दूध के मसले में उलझे हैं। लेकिन अब जनता समझ गई है कि ये लोग असल में क्या करते हैं।

गुजरात मॉडल की हकीकत पर तंज

मुख्यमंत्री ने कहा, “पूरे देश को गुजरात मॉडल दिखाया गया। हमें लगा था कि यहां की सड़कें मलाई जैसी होंगी। बड़ोदरा यहां से 90 किलोमीटर दूर है, लेकिन वहां पहुंचने में चार घंटे लग जाते हैं। कहा जाता है कि सड़कों में गड्ढे हैं, लेकिन हकीकत ये है कि गड्ढों में ही सड़कें हैं! ये लोग ऊपर से इमारतों को रंग-रोगन कर दिखा देते हैं, लेकिन अंदर से हालात बहुत खराब हैं।”

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