प्रदेशभर में शुरू हुई स्टॉफ नर्स भर्ती में फर्जीवाड़े की जांच, सभी आरोपी ड्यूटी छोड़कर फरार।

उत्तर प्रदेश। 2022 और पिछले पांच वर्षों के दौरान हुई भर्ती से जुड़े मामलों का पुनः सत्यापन कराया जाएगा। बलिया में 15 लोगों पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है। बलिया में स्टाफ नर्स भर्ती में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अब पूरे प्रदेश में इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य महानिदेशालय ने इस संबंध में सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों (सीएमओ) को निर्देश जारी किए हैं। अब 2022 और उससे पहले पांच वर्षों तक हुई भर्ती से संबंधित मामलों का नया सत्यापन किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 2019 में 1740 और 2022 में 1354 स्टाफ नर्स की भर्ती की गई थी। भर्ती के बाद, स्वास्थ्य महानिदेशालय ने चयनित उम्मीदवारों को जिलेवार तैनाती के लिए भेज दिया था। दिसंबर 2024 में बलिया जिले में 15 नियुक्तियों पर संदेह जताया गया। सीएमओ द्वारा जांच किए जाने पर फर्जी नियुक्तियों का खुलासा हुआ। इस पर संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जांच शुरू होते ही आरोपी फरार हो गए हैं और पुलिस मामले की जांच कर रही है।

2022 में हुई भर्ती के तहत स्टाफ नर्सों को विभिन्न जिलों में तैनात किया गया था। बलिया प्रकरण के बाद स्वास्थ्य महानिदेशालय में हड़कंप मच गया है। नियुक्ति से जुड़ी सभी पत्रावलियों को छांटकर अलग रखा जा रहा है, ताकि जांच अधिकारियों को सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए जा सकें। यह संभावना भी जताई जा रही है कि बलिया जैसी स्थिति अन्य जिलों में भी हो सकती है। इसलिए, अब 2019 और 2022 के साथ-साथ पिछले पांच वर्षों में हुई स्टाफ नर्स की सभी नियुक्तियों की विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। इस संदर्भ में सभी सीएमओ को निर्देशित किया गया है कि वे पांच वर्षों के दौरान नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की सभी पत्रावलियों का सत्यापन मुख्यालय से करवा लें।
सीएमओ कार्यालय के लिपिकों की भी होगी जांच

बलिया प्रकरण में प्रथमदृष्टया सीएमओ कार्यालय के लिपिकों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। क्योंकि नियुक्ति आदेश निदेशक (नर्सिंग) की मेल आईडी से भेजे जाते हैं, जबकि जिन स्टाफ नर्स की नियुक्ति फर्जी पाई गई है, उनका मेल मॉनिटरिंग सेल की आईडी से भेजा गया है। इतना ही नहीं नियुक्ति के एक माह बाद सभी का सत्यापन कराया जाता है, लेकिन बलिया से सिर्फ 18 लोगों का ही सत्यापन कराया गया, जबकि वहां 37 स्टाफ नर्स भेजे गए थे। यही वजह है कि अब अन्य जिलों में भेजे गए स्टॉफ नर्स का नए सिरे से सत्यापन कराया जा रहा है। ताकि यह पता चल सके कि संबंधित जिलों में जो स्टाफ नर्स कार्यरत हैं, वे महानिदेशालय से भेजे गए हैं अथवा नहीं।

बड़े गिरोह के शामिल होने की आशंका।

विभागीय सूत्रों के अनुसार, स्टाफ नर्स भर्ती में जो फर्जीवाड़ा हुआ है, उसमें एक बड़ा गिरोह शामिल हो सकता है। जांच शुरू होते ही सभी 15 स्टाफ नर्स नौकरी छोड़कर गायब हो गए हैं। उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र के आधार पर कार्यभार सौंपा गया था। इन नर्सों के गायब होने से यह संभावना जताई जा रही है कि उन्हें पता था कि वे अवैध तरीके से काम कर रहे थे।

इस मामले पर महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, डॉ. रतनपाल सिंह सुमन का कहना है कि बलिया मामले में पुलिस जांच कर रही है और महानिदेशालय हर स्तर पर पूरी सहयोग दे रहा है। जो भी दस्तावेज़ मांगे जाएंगे, उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा, अन्य जिलों में ऐसी गड़बड़ियों की आशंका को देखते हुए सभी सीएमओ को अलर्ट किया गया है और उन्हें निर्देश दिया गया है कि पिछले पांच सालों में नियुक्त हुए कार्मिकों की पत्रावलियों का सत्यापन करें।

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