फैसले कड़वे जरूर पर; CM सुक्खू ने बताया सरकार कैसे सुधारेगी हिमाचल की इकोनॉमी

हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कड़े लेकिन जरूरी फैसले लेने की बात कही है। उन्होंने कहा कि ये फैसले भले ही अभी कड़वे लग रहे हों, लेकिन भविष्य में ये आंवले की तरह मीठे साबित होंगे। रविवार को शिमला स्थित सचिवालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार प्रदेश के हितों से समझौता नहीं करेगी। हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को जीवन भर के लिए कंपनियों को सौंपा नहीं जा सकता।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार जल्द ही डुग्गर और बैरासोल जल विद्युत परियोजनाओं को टेकओवर करने जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के संसाधनों पर हिमाचल का पहला अधिकार है और इन्हें केवल राजस्व के लिए निजी हाथों में नहीं सौंपा जा सकता। यह कदम राज्य की आर्थिक संप्रभुता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल होगी।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने शिक्षा क्षेत्र में हुए बदलावों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बीते दो वर्षों में उनकी सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार किए हैं। पिछली भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उस दौरान हजारों स्कूल खोले गए, लेकिन उनमें न शिक्षक हैं और न ही विद्यार्थी। मौजूदा सरकार इन स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में कार्य कर रही है।

मिड डे मील योजना की पूर्व सरकार के कार्यकाल की स्थिति पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में मिड डे मील के तहत बच्चों को पुराना खाना मिल रहा है और अब इसमें सुधार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में सुधार की शुरुआत राज्य के राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूलों से की जाएगी। बच्चों को पौष्टिक और ताजा भोजन सुनिश्चित करने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार की जा रही है।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने रविवार को प्रदेश के 70 शिक्षकों को सिंगापुर के शैक्षणिक दौरे के लिए खाना किया। यह दौरा हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र में नवाचार और वैश्विक अनुभव के उद्देश्य से उठाए गए कदमों की एक अहम कड़ी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि हिमाचल को वर्ष 2032 तक देश का सबसे बेहतर शिक्षा राज्य बनाया जाए।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने सिंगापुर की प्रतिष्ठित प्रिंसिपल्स अकादमी के साथ एक ऐतिहासिक समझौता किया है। इसके तहत शिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण मिलेगा। इससे न केवल शिक्षकों के ज्ञान और कौशल में वृद्धि होगी, बल्कि शिक्षा प्रणाली में भी व्यापक सुधार होंगे। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि इसका सीधा लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा और प्रदेश की शिक्षा प्रणाली और अधिक समावेशी, प्रभावी और आधुनिक बन सकेगी।

सुक्खू ने कहा कि भ्रमण और अनुभव से व्यक्ति का दृष्टिकोण व्यापक होता है। उन्होंने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में शुरू की गई बदलाव की प्रक्रिया के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। हाल ही में जारी असर रिपोर्ट (जनवरी, 2025) में हिमाचल के विद्यार्थियों का शैक्षणिक स्तर देश में सर्वश्रेष्ठ आंका गया है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रदेश के स्कूल पाठ्यक्रम में बदलाव लाया जाए और सामान्य ज्ञान जैसे विषयों को भी शामिल किया जाए। सरकार ऐसी शिक्षा नीति पर काम कर रही है जो छात्रों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षकों की इस यात्रा से उन्हें विश्व स्तरीय शिक्षा पद्धतियों का अनुभव मिलेगा और इसे वे लौटकर छात्रों के साथ साझा करेंगे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना, सुख शिक्षा योजना, राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस जैसी पहलों से शिक्षा क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए जा रहे हैं। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि अब तक प्रदेश सरकार द्वारा 267 शिक्षकों को सिंगापुर भेजा जा चुका है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक दौरा नहीं बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने की ऐतिहासिक पहल है। उन्होंने बताया कि सरकार अब छात्रों को भी शैक्षणिक भ्रमण के लिए विदेश भेज रही है ताकि वे वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हो सकें।

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