पंजाब में आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ जांच की रफ्तार तेज हो गई है। इस केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पूर्व डिप्टी डॉयरेक्टर निरंजन सिंह को विजिलेंस विभाग ने पूछताछ के लिए तलब किया था, जिसके बाद उन्होंने आज अपने बयान दर्ज करवाए हैं।
निरंजन सिंह वही अधिकारी हैं, जिन्होंने 2014 में मजीठिया के खिलाफ ईडी की जांच में अहम भूमिका निभाई थी। वे पहले भी बता चुके हैं कि पुलिस की एफआईआर में उनका नाम नहीं था, लेकिन आरोपियों से पूछताछ के दौरान उनका नाम सामने आया था। बाद में मामले के वित्तीय पहलुओं की जांच भी उन्होंने ही की थी।
निरंजन सिंह ने कहा कि 2021 में उनके रिटायर होने तक यह जांच जारी थी और अदालत में इसकी स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल की जा चुकी है, इसलिए फिलहाल वह ज्यादा जानकारी साझा नहीं कर सकते।
इससे पहले पंजाब के पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय से भी विजिलेंस ने इस मामले में पूछताछ की थी।
निरंजर सिंह ने बताई अहम बातें-
– बिक्रम मजीठिया के आय से अधिक संपत्ति के मामले में निरंजन सिंह विजिलेंस को अपना बयान दर्ज करवा बाहर आए। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि 6 हजार करोड़ के भोला वाले ड्रग मामले में उनकी तरफ से जांच की गई थी। इस मामले में 17 लोगों को सजा हो चुकी है। उस समय बिक्रम मजीठिया का नाम सीधे तौर पर नहीं आया था। लेकिन जब भोला व बिट्टू औलख की स्टेटमेंट्स ली गई तो उसमें बिक्रम मजीठिया का जिक्र था।
– आज की जांच ड्रग मामले में नहीं, आय से अधिक संपत्ति के मामले में है। लेकिन ग्राउंड वही है। इसलिए उन्हें स्टेटमेंट देने के लिए बुलाया गया। उन्होंने विजिलेंस को बताया कि अन्य आरोपियों व भोला ने उन्हें क्या-क्या कहा है। जो ईडी में मैंने जांच के दौरान अपनी स्टेटमेंट्स दी थी, वे बता दी हैं।
– मेरी जांच रिपोर्ट के आधार पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की गई थी। इसी को आधार पर हाईकोर्ट ने एसटीएफ को जांच व कार्रवाई के लिए कहा था। एसटीएफ ने भी अपनी अब्जर्वेशन लगा कर रिपोर्ट हाईकोर्ट में दी। हाईकोर्ट ने रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के लिए कहा था, लेकिन तब की सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया।
– 2021 में मेरी व एसटीएफ की रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर होती है। ये मामला विजिलेंस ने किया है। ये सभी मामले एक दूसरे से लिंक हैं। आगे विजिलेंस जांच करेगी।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल
बिक्रम मजीठिया के खिलाफ नशा तस्करी और आय से अधिक संपत्ति के मामलों में पंजाब पुलिस, विजिलेंस ब्यूरो और अन्य एजेंसियां पहले से जांच कर रही हैं। हाल ही में मजीठिया की गिरफ्तारी के बाद यह मामला फिर सुर्खियों में आया है। अब ED और पूर्व पुलिस अधिकारियों की गवाही व पेशी से जांच को और मजबूती मिलने की संभावना है।
कल चट्टोपाध्याय भी हुए थे पेश
इससे पहले, पंजाब के पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय भी विजिलेंस कार्यालय में पेश हुए थे। वह उस समय राज्य के पुलिस प्रमुख थे जब ड्रग्स मामले की जांच निर्णायक मोड़ पर थी। चट्टोपाध्याय ने भी जांच में सहयोग देने की बात कही है।
पूर्व डीजीपी ने मीडिया से 3 मुख्य बातें कही है, जो कि इस प्रकार है –
1. करीब एक घंटा विजिलेंस अधिकारियों से मुलाकात करने के बाद मीडिया से बात करते हुए पूर्व डीजीपी ने कहा कि हमने 2021 में जब बिक्रम मजीठिया पर पर्चा दर्ज किया था। उस समय भी हमारे पास पुख्ता सबूत थे। इस समय भी सबूत है। उन्होंने कहा कि 2012 -13 में मजीठिया के खिलाफ सबूत थे। लेकिन उस समय अकाली दल भाजपा की सरकार थी। उस समय मजीठिया मंत्री थे। ऐसे में कुछ नहीं हुआ। हालांकि उन्होंने कहा कि मजीठिया ड्रग तस्करों से संबंध है।
2. पूर्व डीजीपी ने कहा कि पुलिस और नशा तस्करों पर नजर रखने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक एसआईटी बनाई थी। हमारी एसआईटी ने तीन रिपोर्ट दी थी। जबकि एक रिपोर्ट मैने अलग से दी थी। वह अब भी बंद है। उन्होंने कहा कि हर जगह कुछ लोग होते हैं, जो संस्था को बदनाम करते हैं। वहीं पुलिस में भी कुछ भेड़े हैं। जो कि लोगों को शोषण करते है।
उन्होंने बर्खास्त इंस्पेक्टर इंद्रप्रीत का नाम लेकर कहा कि उसके खिलाफ 15 जांच चल रही थी, जबकि 4 पर्चे थे। इसके बाद 4 प्रमोशन दी गई । जबकि वह सिपाही रैंक के आदमी को प्रमोशन देकर इंस्पेक्टर बना दिया। उन्होंने दावा किया कि भगौड़े एआईजी राजजीत ने ड्रग से सब कुछ बनाया है।
3. पूर्व डीजीपी ने कहा कि एसआईटी के रूप में हमारी ड्यूटी हाईकोर्ट में रिपोर्ट देने की थी, एसआईटी का चालान पेश करना हमारी जिम्मेदारी नहीं थी। हमारे पास कुछ ठोस सबूत आ गए थे। बाहर से भी पैसे आए थे। लिंक फेक शैल कंपनियों में पैसा घुमाया गया। यह महत्वपूर्ण केस है।