फ्लोरिडा। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलिम्स चार दिन बाद, यानी 19 मार्च को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से धरती पर वापसी करेंगी। लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार को इलॉन मस्क की स्पेस एजेंसी स्पेक्स एक्स का रॉकेट फॉल्कन 9 भारतीय समयानुसार करीब 4:30 बजे लॉन्च कर दिया गया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से इसे लॉन्च किया। इसमें क्रू ड्रैगन कैप्सूल से जुड़ी चार सदस्यीय टीम आईएसएस के लिए रवाना हुई। इस मिशन को कू्र-10 नाम दिया गया है। सुनीता और उनके साथ गए बुच विलमोर नौ महीने से आईएसएस पर फंसे हैं। उनके स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी आ गई थी, जिसकी वजह से उनकी वापसी तय समय पर नहीं हो पाई थी।
नए दल में नासा की ऐनी मैकक्लेन और निकोल अयर्स, जापानी अंतरिक्ष एजेंसी छ्व्रङ्ग्र के टकुया ओनिशी और रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस के कोस्मोनॉट किरिल पेस्कोव शामिल हैं। ये चारों अंतरिक्ष यात्री ढ्ढस्स् पहुंचकर सुनीता विलियम्स, बुच विलमोर और क्रू-9 के दो अन्य सदस्यों की जगह लेंगे। कू्र-10 का स्पेसक्राफ्ट 15 मार्च को आईएसएस पर डॉक करेगा, जहां वे एडजस्टमेंट के बाद संचालन संभालेंगे।
सुनीता और विलमोर को स्पेस स्टेशन पर क्यों भेजा गया था?
सुनीता और बुच विलमोर बोइंग और NASA के जॉइंट ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ पर गए थे। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुच विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था।
लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और CEO टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था।
एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। सुनीता और विलमोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस-वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली भी उड़ाना था। फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे।