हिमाचल प्रदेश। प्रदेश में सरकारी स्कूलों के छात्रों को दी जा रही मुफ्त एचआरटीसी बस सेवा बंद की जा सकती है।
हाल ही में एचआरटीसी के निदेशक मंडल की बैठक में छात्रों के लिए न्यूनतम बस किराए पर पास जारी करने के विकल्प पर चर्चा की गई, जिसमें न्यूनतम किराया लेने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत किराए में छूट समाप्त करने की योजना है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह छूट जारी रखने का प्रस्ताव है। हालांकि, इन सभी प्रस्तावों पर अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल द्वारा लिया जाएगा।
बैठक में सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए 15 सिंगल फेयर बस पास प्रति माह बनाने पर विचार किया गया, जिसमें छात्रों को महीने में 15 दिनों का किराया चुकाना होगा, और यह किराया एकतरफा ही लिया जाएगा। इस दौरान यह तर्क भी रखा गया कि आधे किराए का लाभ उन ग्रामीण महिलाओं को मिलना चाहिए, जो बेरोजगार हैं या जिनकी आय कम है, जबकि शहरी क्षेत्रों की नौकरीपेशा महिलाएं भी इस छूट का लाभ उठा रही हैं। निदेशक मंडल ने न्यूनतम किराया बढ़ाने का भी प्रस्ताव पास किया, जिसमें 2 किलोमीटर तक 5 रुपये और 4 किलोमीटर तक 10 रुपये न्यूनतम किराया वसूलने की बात की गई है, जबकि वर्तमान में 3 किलोमीटर तक 5 रुपये न्यूनतम किराया लिया जाता है।

हिमाचल निजी बस ऑपरेटर संघ के महासचिव रमेश कमल ने कहा कि न्यूनतम किराया 5 से 10 रुपये करने का प्रस्ताव सराहनीय है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को महिलाओं के किराये में छूट, रियायती पास और अन्य ऐसी योजनाओं को समाप्त कर देना चाहिए। अगर सरकार ऐसा करती है, तो सामान्य किराया बढ़ाने की आवश्यकता नहीं होगी।
हिमाचल प्रदेश निजी बस चालक-परिचालक संघ के महासचिव अखिल गुप्ता का कहना है कि न्यूनतम किराये में वृद्धि आवश्यक है, क्योंकि यह अन्य राज्यों की तुलना में कम है। उदाहरण स्वरूप, पंजाब में 15 रुपये किराया लिया जा रहा है। हिमाचल में बस सेवा यात्रा का प्रमुख साधन है, ऐसे में सामान्य किराए में कोई वृद्धि करने की जरूरत नहीं है। पार्टी के शिमला के पूर्व महासचिव अमित चड्ढा ने बताया कि जब 40 लाख की बस में 90 रुपये प्रति लीटर डीजल डालने के बाद प्रति सवारी 5 रुपये किराया वसूलना उचित नहीं है। उनके मुताबिक, न्यूनतम किराया 10 रुपये होना चाहिए, और अगर सामान्य किराया 20 प्रतिशत बढ़ता है, तो घाटे में चल रहे बस ऑपरेटरों को राहत मिल सकती है।