SYL ने इस दिन बुलाई पंजाब-हरियाणा की बैठक, क्या सुलझ पाएगा विवाद ?

एसवाईएल नहर विवाद (SYL Canal Dispute) को लेकर केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। पंजाब और हरियाणा के बीच दशकों पुराने सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर के मुद्दे को सुलझाने के लिए 9 जुलाई 2025 को एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी (Water Sharing) देने से इनकार कर दिया है और यमुना-सतलुज लिंक नहर का प्रस्ताव रखा है। यह विवाद हरियाणा और पंजाब के किसानों (Farmers) और सियासत के लिए अहम है। आइए, इस बैठक और इसके महत्व को समझते हैं।

 

पंजाब का पक्ष और यमुना-सतलुज प्रस्ताव SYL Canal Dispute

एसवाईएल नहर विवाद (SYL Canal Dispute) में पंजाब ने मजबूत रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नीति आयोग (NITI Aayog) की बैठक में स्पष्ट किया कि पंजाब में पानी की कमी (Water Scarcity) के कारण अतिरिक्त पानी देना संभव नहीं है।

उन्होंने सतलुज-यमुना लिंक नहर के बजाय यमुना-सतलुज लिंक नहर बनाने का सुझाव दिया। मान ने 1954 के एक समझौते का हवाला दिया, जिसमें यमुना के पानी से सिंचाई (Irrigation) के लिए कोई विशेष क्षेत्र निर्धारित नहीं था। पंजाब इस बैठक में अपने हितों की रक्षा के लिए तैयार है। यह प्रस्ताव विवाद को नई दिशा दे सकता है।

 

नहर का निर्माण और सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सवाईएल नहर विवाद (SYL Canal Dispute) 214 किलोमीटर लंबी नहर से जुड़ा है, जिसमें 122 किलोमीटर पंजाब और 92 किलोमीटर हरियाणा में बननी थी। यह नहर दोनों राज्यों के लिए पानी साझा करने (Water Sharing) का मुख्य साधन है।

मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दोनों राज्यों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) को मध्यस्थ की भूमिका निभाने को कहा। 9 जुलाई की बैठक इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका परिणाम किसानों (Farmers) के लिए अहम होगा।

 

बैठक का महत्व और भविष्य

9 जुलाई की बैठक एसवाईएल नहर विवाद (SYL Canal Dispute) को सुलझाने की दिशा में निर्णायक हो सकती है। यह विवाद न केवल पानी साझा करने (Water Sharing) से जुड़ा है, बल्कि दोनों राज्यों के किसानों (Farmers) की आजीविका और क्षेत्रीय सियासत को भी प्रभावित करता है।

 

केंद्र सरकार की मध्यस्थता (Mediation) से दोनों पक्षों को संतुलित समाधान खोजने की उम्मीद है। किसानों और स्थानीय लोगों से अपील है कि वे इस मुद्दे पर नजर रखें। यह बैठक हरियाणा और पंजाब के बीच पानी के बंटवारे (Water Distribution) पर नया रास्ता दिखा सकती है।

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