उत्तर प्रदेश में भले ही विधानसभा चुनाव में 2 साल का अभी समय हो पर प्रदेश में चुनावी सुगबुगाहट तेज हो गई है। सरकार और विपक्ष दोनों अपने हिसाब से जनता का मूड नापने के लिए तैयारियों में जुट गए हैं।
साल 2027 में उत्तर प्रदेश में चुनाव है। 2027 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती को वंचित वर्गों के साथ जुड़ने के अवसर के रूप में लिया है। एक तरफ़ समाजवादी पार्टी प्रदेश के 75 जिलों की 404 विधानसभा सीटों पर साइकिल यात्रा के माध्यम से प्रदेश के हर व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास करेगी।
भारतीय जनता पार्टी 13 दिनों तक चलने वाले आंबेडकर जयंती का आयोजन कर रही है जिसमें मैराथन जैसी गतिविधियां शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी को इस बात का अंदेशा लग गया है कि दलित तबका बीजेपी से एक तरफ़ा खफा हो चुका है। भाजपा वंचित और अति पिछड़े वर्गों के बीच अपने विचारों को प्रसारित करने और उनकी गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश कर रही है।
लोकसभा का चुनाव जख्म बीजेपी है याद
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश से बड़ी उम्मीदें थीं। मगर सारी उम्मीदें बीजेपी की किसी अंधेरे सन्नाटे में विलुप्त हो गई। सबसे बड़ी बात की बीजेपी फैजाबाद सीट नहीं जीत पाई, उसको 33 सीटों पर संतोष करना पड़ा, वहीं देश में सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी बनकर उभरी थी, जिसको 36 सीटें आई और कांग्रेस को 6 सीटे तो RLD ने 2 सीटें जीतीं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आंबेडकर जयंती के अवसर पर 15 से 25 अप्रैल तक दलित बस्तियों में विशेष अभियान चलाएगी। इस दौरान वे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) को आरक्षण और संविधान के मुद्दों पर घेरने का प्रयास करेंगी। साथ ही, भाजपा मोदी और योगी सरकार द्वारा दलितों के लिए किए गए कार्यों को भी उजागर करेगी।
भाजपा का कांग्रेस पर हमला
भाजपा यह भी बताएगी कि कैसे कांग्रेस ने 1952 में डॉ. आंबेडकर को हराया था और 1954 के उपचुनाव में उनके निजी सहायक को उनके खिलाफ खड़ा किया था। उस समय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी बाबा साहेब के खिलाफ प्रचार किया था।
दलितों का प्रभाव
उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 84 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, जबकि 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा, 50 जिलों की करीब 300 सीटों पर दलित मतदाता प्रभावशाली भूमिका में हैं। प्रदेश के 20 जिले ऐसे हैं जहां 25 प्रतिशत से ज्यादा एससी-एसटी की आबादी है। करीब 100 से अधिक ऐसी सीटें हैं जहां पांच से 10 प्रतिशत एससी मतदाता जिधर वोट करते हैं, उसी पार्टी का पलड़ा भारी हो जाता है।
भाजपा की रणनीति
भाजपा मिशन 2027 के लिए वंचित समाज के वोटबैंक में सेंधमारी करने की कोशिश कर रही है। इस अभियान के माध्यम से वे दलित वर्ग को अपने पक्ष में करने का प्रयास करेंगी।