पंजाब सरकार का बड़ा Action, विजीलैंस चीफ सहित AIG व SSP Suspend

पंजाब सरकार ने विजिलेंस के चीफ डायरेक्टर ADGP एसपीएस परमार, AIG और SSP को सस्पेंड कर दिया है। ड्राइविंग लाइसेंस घोटाले से जुड़े मामले में यह कार्रवाई की गई है। पंजाब की AAP सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक इन अधिकारियों ने इस घोटाले में कार्रवाई को रोकने की कोशिश की। इस कार्रवाई को लेकर CM भगवंत मान ने कहा कि भ्रष्टाचारियों को जो भी बचाएगा, वह नहीं बचेगा।

विजिलेंस चीफ एसपीएस परमार 1997 बैच के सीनियर IPS अधिकारी हैं। उन्हें 26 मार्च को विजिलेंस डायरेक्टर नियुक्त किया गया था। तब सरकार ने जी. नागेश्वर राव को हटाया था। उस वक्त परमार ADGP लॉ एंड ऑर्डर थे। सरकार की तरफ से जल्द इस कार्रवाई के बारे में डिटेल कार्रवाई जारी की जाएगी।

 

7 अप्रैल को RTA दफ्तरों की चेकिंग की थी जानकारी के मुताबिक 7 अप्रैल को रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (RTA) के दफ्तरों और ड्राइविंग टेस्ट केंद्रों पर छापेमारी की। इस दौरान रिश्वतखोरी और अन्य खामियों में शामिल 24 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान कुल 16 FIR दर्ज की गईं और अधिकारियों ने एजेंटों से 40 हजार 900 रुपए नकद बरामद किए। सरकार ने दावा किया है कि यह राशि ड्राइविंग लाइसेंस, टेस्ट व अन्य सेवाएं दिलवाने के एवज में वसूलते थे। इस मामले की अभी जांच चल रही थी।

CM हेल्पलाइन पर आ रही थी शिकायतें CM की भ्रष्टाचार विरोधी एक्शन लाइन पर मिली कई शिकायतों के बाद यह छापेमारी की गई थी। फ्लाइंग स्क्वॉड और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) समेत विजिलेंस ब्यूरो की विभिन्न रेंजों ने यह कार्रवाई की। जिन RTA अधिकारियों और एजेंटों को पकड़ा गया है, वे ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया में तेजी लाने या टेस्ट के नतीजों में गड़बड़ी करने के एवज में अवैध रूप से पैसे वसूल रहे थे।

 

RTO के गिरफ्तारी वारंट जारी

सात अप्रैल को विजिलेंस द्वारा आरटीओ दफ्तरों में की गई रेड के बाद मोहाली के आरटीओ प्रदीप कुमार को भी केस में नामजद किया गया था। वह अभी तक फरार चल रहे हैं। वहीं, इस मामले में विजिलेंस ब्यूरो ने मोहाली अदालत की शरण ली है। अदालत ने आरोपी के गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे।

 

पहले DC को किया था सस्पेंड, विजिलेंस प्रमुख को हटाया था इससे पहले पंजाब सरकार की तरफ से 17 फरवरी को मुक्तसर साहिब के DC राजेश त्रिपाठी को सस्पेंड किया था। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप थे। इस मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी थी। साथ ही विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख वरिंदर कुमार को हटाकर जी नागेश्वर को लगाया गया था।

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