भारत पर युद्ध थोपने पर तुले पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से तोहफा मिल गया है. खबर है कि IMF ने पाकिस्तान के लिए 1.3 बिलियन डॉलर (11,105 करोड़ रुपये) के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी है. न्यूज एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इसकी पुष्टि कर दी है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पैकेज की मंजूरी मिलने पर संतोष जताया है. उन्होंने कहा कि भारत की ‘दबाव बनाने वाली रणनीति’ सफल नहीं हुई. पीएमओ की ओर से कहा गया कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है और देश अब विकास की ओर बढ़ रहा है.
इससे पहले भारत ने पाकिस्तान को IMF से मिलने वाली आर्थिक मदद को लेकर होने वाली वोटिंग से हाथ खींच लिए थे. साथ ही चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान को कर्ज देना ठीक नहीं है. भारत ने कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने में किया जा सकता है.
IMF का ये फैसला भारत के लिए बड़ा झटका है. इसकी काफी आशंका है कि पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल भारत के खिलाफ सैन्य संघर्ष और संभवतः युद्ध में करे. इसीलिए लोन से जुड़ी वोटिंग से किनारा करने के बाद भारत ने कहा था कि पाकिस्तान ने बार-बार बेलआउट पैकेज का दुरुपयोग किया है और IMF की शर्तों का उल्लंघन किया है. 1989 से लेकर अब तक पाकिस्तान ने 28 साल तक लगातार IMF से पैकेज उठाया. 2019 से पिछले 5 सालों में ही 4 बार उसने IMF से कर्ज लिया है.
भारत ने आगे कहा कि IMF की ओर से पहले दी गई मदद में पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है. यह एक व्यापक धारणा है कि पाकिस्तान को IMF की ओर से मिलने वाले कर्ज में राजनीतिक विचारों की बड़ी भूमिका होती है. बार-बार बेलआउट का नतीजा ये है कि पाकिस्तान का कर्ज बहुत ज्यादा हो गया है, जो इसे IMF के लिए ‘Too Big to Fail’ कर्जदार बनाता है. मतलब ये कि कर्ज इतना ज्यादा है कि पाकिस्तान इसे कभी नहीं चुका पाएगा.
भारत ने कहा कि पाकिस्तान के आर्थिक मामलों में वहां की सेना का हस्तक्षेप होता है. यहां तक कि जब वहां एक नागरिक सरकार सत्ता में है, तब भी पाकिस्तानी सेना घरेलू राजनीति में बड़ी भूमिका निभाती है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान में सेना को वहां का Largest conglomerate in Pakistan यानी कि सबसे बड़ा कारोबारी समूह बताया गया है. Conglomerate ऐसी कंपनी या ग्रुप को कहा जाता है, जिसके पास ढेर सारे अलग-अलग तरह के बिजनस होते हैं.
भारत ने कहा कि आतंकवाद को समर्थन देने वाले पाकिस्तान को फिर से कर्ज देने से दुनिया में गलत संदेश जाता है. यह फंडिंग एजेंसियों और दानदाताओं का अपमान है. अंतरराष्ट्रीय मूल्यों का मजाक उड़ाना है.