पंजाब सरकार ने सड़कों पर बच्चों से भीख मंगवाने के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। इसके तहत सरकार ने जीवनजोत प्रोजेक्ट-2 की शुरुआत की है। केवल दो दिन में ही 18 जगह रेड कर 41 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है।
हालांकि बठिंडा में पकड़े गए कुछ बच्चों का मामला संदिग्ध लग रहा है। ऐसे में अब उन बच्चों का डीएनए टेस्ट करवाया जाएगा, जिससे यह पता चल सके कि वे अपने असली मां-बाप के साथ थे या नहीं। जब तक रिपोर्ट नहीं आती, तब तक ये बच्चे बाल सुधार गृह में ही रहेंगे।
माता-पिता को चेतावनी, गिरोह को कड़ी सजा
राज्य की सामाजिक सुरक्षा मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने कहा है कि अगर कोई माता-पिता अपने बच्चों से जबरन भीख मंगवाते हैं, तो पहले उन्हें समझाया जाएगा। अगर वे नहीं माने, तो उन्हें अनफिट गार्जियन घोषित कर दिया जाएगा। इसके बाद उनके बच्चों को गोद देने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
वहीं, इस तरह के काम में शामिल किसी गिरोह या रैकेट के लोगों को 5 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।
57 बच्चों का अब तक कोई सुराग नहीं
मंत्री ने बताया कि पिछले 9 महीनों में सरकार ने 350 बच्चों को भीख मांगने से रेस्क्यू किया था और उन्हें स्कूलों व अन्य संस्थानों से जोड़ा गया। लेकिन इनमें से 57 बच्चों का अब तक कोई सुराग नहीं लगा है और उनकी जांच भी जारी है।
पंजाब सरकार की अब तक की कार्रवाई को प्वाइंट में जानिए:
1.जीवन जोत प्रोजेक्ट: बलजीत कौर ने बताया कि सितंबर 2024 में सरकार की तरफ से जीवन जोत प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया था। इसका मकसद सड़कों पर बच्चों को भीख मांगने से रोकना, उनका बचपन बचाना, उन्हें स्कूल से जोड़ना और इलाज करवाना था।
2. 9 महीने में 367 बच्चों को रेस्क्यू किया गया। इस दौरान कुल 753 रेड की गईं। जब हमारी टीमें जाती थीं, तो बच्चे और भीख मंगवाने वाले भाग जाते थे, जिससे कई बार सफलता नहीं मिलती थी।
3. इन बच्चों में से 350 बच्चों को उनके परिवारों के पास वापस कर दिया गया। इनमें से 150 बच्चे दूसरे राज्यों से थे। 17 बच्चे ऐसे थे जिनकी परिजनों की पहचान नहीं हो पाई, उन्हें चिल्ड्रेन होम में रखा गया।
4. 183 बच्चों को भीख मांगने से हटाकर स्कूलों से जोड़ा गया। इनमें 6 साल से कम उम्र के 13 बच्चे थे, जिन्हें आंगनवाड़ी सेंटर में भेजा गया।
5. 30 बच्चों को स्पांसरशिप से जोड़ा गया, जिन्हें हर महीने 4000 रुपये दिए जाते हैं ताकि वे स्कूलों में पढ़ सकें और उनकी पढ़ाई जारी रह सके। 16 बच्चों को 1500 रुपये महीने की पेंशन दी गई। हर तीन महीने में डीसीपीओ चेक करते हैं कि बच्चे नियमित हैं या नहीं। हालांकि, 57 बच्चे स्कूलों से गायब मिले हैं। इस बारे में पूरी पड़ताल की जा रही है।