सिसवां में वन भूमि पर अतिक्रमण: पहाड़ को समतल कर काटे गए 500 से ज्यादा पेड़, कार्रवाई शून्य

चंडीगढ़: न्यू चंडीगढ़ से सटे गांव सिसवां में पर्यावरण और कानून दोनों की खुली धज्जियां उड़ाने वाला मामला सामने आया है। आरोप है कि यहां पंचायती जमीन पर अवैध कब्जा करके एक पहाड़ को समतल किया गया और इस दौरान करीब 500 से ज्यादा पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर दी गई।

यह मामला पंचायत, वन और वाइल्ड लाइफ विभागों तक पहुंच चुका है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

भाजपा नेता विनीत जोशी ने किया मौके का निरीक्षण

मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी मौके पर पहुंचे और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि जिस जमीन और पहाड़ी की मलकियत सिसवां पंचायत के पास है, उस पर किसी व्यक्ति द्वारा कब्जा करना पूरी तरह अवैध है।

जोशी ने बताया कि यह जमीन खसरा नंबर 453 में दर्ज है और यह क्षेत्र पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट (PLPA) 1900 की धारा 4 के तहत “नोटिफाइड” है। इस अधिनियम के तहत:

  • पहाड़ की जमीन पर खेती या खुदाई नहीं की जा सकती
  • पेड़, घास या झाड़ियां काटना मना है
  • पशु चराना भी प्रतिबंधित है
  • किसी भी प्रकार की मानव-जनित गतिविधि पर पूर्ण रोक है

इसके बावजूद यहां बिना अनुमति के ना सिर्फ जमीन को समतल किया गया, बल्कि सैकड़ों पेड़ भी काट दिए गए, जो कानून का सीधा उल्लंघन है।

सिसवां कम्युनिटी रिजर्व फॉरेस्ट में आता है इलाका

वन विभाग पहले ही इस इलाके को “सिसवां कम्युनिटी रिजर्व फॉरेस्ट” घोषित कर चुका है। ऐसे में यहां किसी भी तरह की छेड़छाड़ को वन एवं जंगली जीव सुरक्षा कानून के तहत गंभीर अपराध माना जाता है।

भाजपा की मांग: दोषियों पर दर्ज हों केस

विनीत जोशी ने मांग की है कि इस मामले में:

  • PLPA 1900
  • वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट
  • फॉरेस्ट एक्ट
  • क्रिमिनल लॉ

के तहत गैरकानूनी कब्जा, सरकारी जमीन में प्रवेश और पेड़ काटने के मामलों में एफआईआर दर्ज की जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाए

मौके पर मौजूद अन्य लोग

इस निरीक्षण के दौरान उनके साथ सिसवां के सरपंच संजीव शर्मा, पंच अमनदीप शर्मा, लंबरदार शेर खान और माजरी मंडल भाजपा के मंडल प्रधान मोहित गौतम भी मौजूद रहे।

निष्कर्ष:
सिसवां में सामने आया यह मामला न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला है, बल्कि यह सरकार और प्रशासन की अनदेखी को भी उजागर करता है। अब देखना यह है कि क्या विभाग आंखें खोलते हैं या मामला यूं ही ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

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