Punjab: DIG भुल्लर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, CBI जांच पर रोक लगाने की याचिका खारिज

Punjab: DIG हरचरण सिंह भुल्लर को एक और झटका, सुप्रीम कोर्ट ने CBI जांच पर रोक से किया इनकार

पंजाब डेस्क | Punjabi Doordarshan

पंजाब पुलिस के निलंबित डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) हरचरण सिंह भुल्लर को शुक्रवार को उस समय बड़ा झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति से जुड़े दो मामलों में CBI जांच पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत की अगुवाई वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले की सुनवाई पहले से ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का इस स्तर पर हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने भुल्लर को अपनी कानूनी लड़ाई हाईकोर्ट में ही जारी रखने की सलाह दी।

कानूनी दलीलें और कोर्ट का रुख

भुल्लर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत पर विचार नहीं किया, जो कि गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब सरकार द्वारा CBI को दी गई सामान्य सहमति वापस लेने के बावजूद एजेंसी द्वारा जांच जारी रखना कानून का उल्लंघन है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। इसके बाद भुल्लर के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने याचिका को वापस ली गई मानते हुए खारिज कर दिया।

CBI का पक्ष और आगे की कार्रवाई

CBI की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि भुल्लर को नियमित जमानत नहीं मिली है और मामले में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। इससे पहले 4 दिसंबर को भी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भुल्लर को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी 2026 को तय की है।

रिश्वत और करोड़ों की बरामदगी

हरचरण सिंह भुल्लर 2007 बैच के IPS अधिकारी हैं और रोपड़ रेंज में DIG के पद पर तैनात थे। CBI ने उन्हें 16 अक्टूबर को एक कबाड़ व्यापारी से 5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।

छापेमारी के दौरान CBI को उनके चंडीगढ़ स्थित आवास से

  • 7.36 करोड़ रुपये से अधिक नकदी,
  • 2.32 करोड़ रुपये के आभूषण,
  • 26 महंगी घड़ियां,
  • और करीब 50 अचल संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए थे।

इसके बाद पंजाब सरकार ने उन्हें 16 अक्टूबर से निलंबित कर दिया और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति दोहराई।

 

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