पंजाब की नई आबकारी नीति 2026-27 की तैयारी, शराब कारोबार में हो सकते हैं बड़े बदलाव
जालंधर/चंडीगढ़ | Punjabi Doordarshan
पंजाब सरकार आगामी आबकारी नीति 2026-27 की तैयारी में जुट गई है। इसी कड़ी में पंजाब के आबकारी आयुक्त जतिंदर जोरवाल ने जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर और गुरदासपुर जिलों के शराब ठेकेदारों के साथ एक अहम बैठक की। इस बैठक में ठेकेदारों ने नई नीति को लेकर अपनी प्रमुख मांगें विभाग और सरकार के समक्ष रखीं।
ठेकेदारों ने मांग की कि नई नीति बनाते समय उनके हितों को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि पंजाब में अंग्रेजी शराब की ओपन कोटा व्यवस्था समाप्त की जानी चाहिए, क्योंकि इससे बाजार में आपूर्ति अत्यधिक बढ़ जाती है और ठेकेदारों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। जिस तरह देसी शराब का कोटा नियंत्रित है, उसी तरह अंग्रेजी शराब का कोटा भी नियंत्रित होना चाहिए।
ठेकेदारों का कहना है कि अत्यधिक सप्लाई से शराब की कीमतों में अस्थिरता आती है और प्रतिस्पर्धा के चलते दाम गिर जाते हैं, जिससे कारोबार नुकसान में चला जाता है। उन्होंने मौजूदा शराब ठेकेदारों को ठेकों के नवीनीकरण (Renewal) का विकल्प देने की भी मांग की, ताकि व्यापार में स्थिरता बनी रहे।
छोटे ठेकेदारों को मौका देने की मांग
बैठक में यह मुद्दा भी उठा कि नई नीति में छोटे-छोटे ग्रुप बनाए जाएं, जिससे छोटे ठेकेदार भी इस कारोबार में प्रवेश कर सकें। वर्तमान में 50-50 करोड़ रुपये के बड़े ग्रुप ही इस क्षेत्र पर हावी हैं, जिससे छोटे व्यापारियों के लिए प्रवेश लगभग असंभव हो गया है। ठेकेदारों ने बताया कि 2024-25 में जहां राज्य में 236 ग्रुप थे, वहीं 2025-26 में यह संख्या घटकर 207 रह गई है, जो ग्रुप साइज बढ़ने का स्पष्ट संकेत है।
ठेकेदारों ने बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और घटते मार्जन के कारण कई ठेकेदार मुश्किल से अपना अस्तित्व बचा पा रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अधिकांश ठेकों को नवीनीकरण किया जाए और शेष ठेकों को लॉटरी सिस्टम के जरिए आवंटित किया जाए।
सरकार को राजस्व बढ़ाने की संभावना
ठेकेदारों का मानना है कि यदि छोटे व्यापारियों को मौका दिया जाए तो इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि अतिरिक्त IMFL कोटा केवल निर्धारित स्लैब के अनुसार और लाइसेंस फीस जमा होने के बाद ही जारी किया जाए।
ठेकेदारों ने चेतावनी दी कि यदि नीति में जरूरी संशोधन नहीं किए गए तो खुदरा शराब कारोबार कमजोर पड़ सकता है, जिससे रोजगार और राज्य के राजस्व पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।
आबकारी आयुक्त जतिंदर जोरवाल ने सभी मांगों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि नई आबकारी नीति बनाते समय सभी पक्षों के सुझावों पर विचार किया जाएगा। सरकार आने वाले दिनों में अन्य जिलों में भी ऐसी बैठकें आयोजित करेगी। आमतौर पर पंजाब सरकार जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में नई आबकारी नीति को कैबिनेट से मंजूरी देती है।

