अमृतसर | Punjabi Doordarshan
पंजाब सरकार द्वारा अमृतसर को ‘पवित्र शहर’ घोषित करने के फैसले के बाद नॉन-वेज, शराब और पान से जुड़े कारोबारियों में चिंता का माहौल बन गया है। कारोबारी संगठनों का कहना है कि सरकार का फैसला भावनात्मक रूप से सही हो सकता है, लेकिन इसका क्रियान्वयन हजारों परिवारों की रोज़ी-रोटी को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।
पंजाब अरोड़ा महासभा के जिला प्रधान संजीव अरोड़ा ने इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी नीति को लागू करते समय संविधान के अनुच्छेद 19 (व्यवसाय की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (सम्मानपूर्वक जीवन का अधिकार) का सम्मान किया जाना चाहिए।
उन्होंने सरकार से मांग की कि वर्षों से स्थापित कारोबारों को अचानक बंद करने की बजाय कम से कम एक वर्ष का समय दिया जाए, ताकि कारोबारी बिना आर्थिक नुकसान के अपना व्यवसाय स्थानांतरित कर सकें। अरोड़ा ने कहा कि अमृतसर में 90 वर्षों से अधिक पुराना मछली बाजार मौजूद है, जिससे हजारों परिवार जुड़े हुए हैं और जिसका व्यापार राष्ट्रीय स्तर तक फैला हुआ है। इस पर रोक लगाना न केवल स्थानीय बल्कि अन्य राज्यों के कारोबारियों के लिए भी विनाशकारी साबित होगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि जल्दबाजी में लगाए गए प्रतिबंधों से अवैध नॉन-वेज माफिया पनपेगा, कीमतों में भारी बढ़ोतरी होगी और इसका सीधा असर आम जनता व पर्यटकों पर पड़ेगा।
स्थानांतरण के लिए ठोस योजना की जरूरत
संजीव अरोड़ा ने सुझाव दिया कि सरकार को कारोबार स्थानांतरण के लिए एक स्पष्ट और व्यावहारिक योजना बनानी चाहिए। शहर से बाहर ऐसे स्थान उपलब्ध कराए जाएं जहां नए ग्राहक मिल सकें और पहले से स्थापित कारोबारियों के साथ टकराव की स्थिति पैदा न हो।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि शहर के भीतर नॉन-वेज उत्पाद लाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया तो शहर में रहने वाले लोगों को भी बाहर जाकर भोजन खरीदना पड़ेगा, जिससे असुविधा बढ़ेगी।
कारोबारियों ने सरकार से अपील की है कि फैसले के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का गंभीरता से मूल्यांकन करते हुए इसे लागू किया जाए, ताकि किसी भी वर्ग के साथ अन्याय न हो।

