चंडीगढ़ | Punjabi Doordarshan
चंडीगढ़ स्थित प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान PGI में गरीब और गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए आवंटित फंड में 1.14 करोड़ रुपये से अधिक के बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने PGI के 6 कर्मचारियों और 2 निजी व्यक्तियों समेत कुल 8 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की है।
मृत मरीजों और फर्जी नामों पर निकाला गया पैसा
जांच में सामने आया है कि PGI की प्राइवेट ग्रांट सेल में यह घोटाला लंबे समय से चल रहा था। मरीजों के नाम पर फर्जी बिल बनाए गए। कुछ फंड ऐसे मरीजों के नाम पर निकाले गए, जिनकी पहले ही मौत हो चुकी थी, जबकि कई ऐसे लोगों के नाम पर भी राशि निकाली गई, जिन्होंने कभी PGI में इलाज तक नहीं करवाया था।
RTI से हुआ खुलासा
इस पूरे घोटाले का खुलासा सूचना का अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त रिपोर्ट से हुआ। यह RTI कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स की संयुक्त एक्शन कमेटी के अध्यक्ष अश्वनी कुमार मुंजाल द्वारा दायर की गई थी। रिपोर्ट में मृत मरीजों के नाम पर फर्जी बिल और जाली मेडिकल रिकॉर्ड के जरिए लाखों रुपये के गबन की पुष्टि हुई।
डॉक्टर की पर्ची के बिना 88.12 लाख ट्रांसफर
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि 88.12 लाख रुपये बिना डॉक्टर की पर्ची के दवा डीलरों को ट्रांसफर किए गए। यह पूरा फर्जीवाड़ा 2017 से 2021 के बीच हुआ, लेकिन मामला अक्टूबर 2022 में उजागर हुआ।
कार्रवाई में देरी पर उठे सवाल
खुलासे के बावजूद PGI प्रशासन की ओर से तत्काल कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। काफी समय बाद जांच समिति बनाई गई, जिसकी पहली बैठक अक्टूबर 2023 में हुई। इस दौरान कई आरोपी कर्मचारी PGI में कार्यरत रहे।
अंततः इस वर्ष की शुरुआत में PGI प्रशासन ने मामले की जांच CBI को सौंप दी, जिसके बाद अब FIR दर्ज कर जांच तेज कर दी गई है।

