दिल्ली में अब भाजपा की ट्रिपल इंजन की सरकार है। भाजपा की सरकारों को लाने में दिल्ली के व्यापारियों की बड़ी भूमिका है। कारोबारी हब के रूप में पहचाने जाने वाले दिल्ली के व्यापारियों को अब इस ट्रिपल इंजन सरकार से बड़ी उम्मीदें है।
27 साल बाद दिल्ली में भाजपा की सरकार आई है, उससे व्यापारियों को बड़ी उम्मीदें हैं। उसे पूरा करने का क्या रोडमैप है?
दिल्ली में भाजपा की सरकार लाने में व्यापारियों की बहुत बड़ी भूमिका है। पिछले 10 वर्ष में आप के शासन काल में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सिर्फ बड़ी-बड़ी घोषणाएं की, लेकिन हुआ कुछ नहीं। मसलन, दिल्ली ही नहीं देश के प्रमुख बाजार चांदनी चौक में बिना किसी सोची समझी योजना के सुंदरीकरण के नाम पर जो किया गया, वह हमारे सामने है। उससे न तो व्यापारियों और न ही रहने वालों को लाभ हुआ। बल्कि व्यापार को ही नुकसान हुआ। ऐसे में मैंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से निवेदन किया है कि दिल्ली के बाजारों को बेहतर तरीके से विकसित करने के लिए वृहद योजना लाएं, जिससे दिल्ली देश की आर्थिक राजधानी के रूप में विकसित हो सके।
इसी क्रम में सरकार ने पहली बार वेयरहाउसिंग नीति और बदहाल औद्योगिक क्षेत्रों के लिए नीति लाने की घोषणा की है। दिल्ली में सील 13 हजार से अधिक दुकानों को न्यायिक प्रक्रिया के जरिये सीलिंग खोलने का भी प्रस्ताव है। मिशन मोड में बाजारों के पुनर्विकास की बात है। कुल मिलाकर हमारी सरकार इस मामले में पूरी तरह से सजग व सक्षम है। केंद्र के सहयोग, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व व उनके विजन को कार्य रूप में परिणति करने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है। न सिर्फ दिल्ली सरकार बल्कि सातों सांसद, एमसीडी और सभी एजेंसियां उसे सामूहिक रूप से पूरा करेंगी।

इसके लिए क्या योजनाएं है?
– बाजारों में सफाई हो, अतिक्रमण व अवैध निर्माण पर सख्ती हो। पिंक टायलेट बने। सभी एजेंसियों में समन्वय व सामंजस्य हो। दूसरे, शाहजहांनाबाद पुनर्विकास बोर्ड का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ पुनर्विकास प्राधिकरण किया जाए और उसके कार्य क्षेत्र में पूरे चांदनी चौक (दिल्ली-6) और उससे जुड़े इलाके लाए जाए। उसे केवल नौकरशाही के भरोसे न छोड़ा जाए। बल्कि स्थानीय सांसद की अध्यक्षता में एमसीडी, दिल्ली पुलिस, डूसिब, फायर सर्विस, एनडीपीएल, डीडीए, यातायात पुलिस व एएसआइ के प्रतिनिधि उसमें सदस्य हो। व्यापारी संगठनों के सुझाव पर एक योजना बनाकर काम हो।
इसी तरह, दिल्ली आर्थिक विकास परिषद का गठन हो। सीएम ने दिल्ली व्यापारी कल्याण बोर्ड के गठन की घोषणा की है। इसके लिए डीडीए व रेलवे से मिली जमीन पर वेयरहाउस और नोएडा व गुरुग्राम की तर्ज पर व्यवसायिक क्षेत्र तैयार की जाए, ताकि दिल्ली के युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में न जाने पड़े।
मुख्यमंत्री ने पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों के स्थानांतरण का सुझाव दिया है, जिससे बाजार में अनिश्चिततता है?
– इसमें अनिश्चितता की बात नहीं है। सीएम ने यह नहीं कहा कि बाजार स्थानांतरित कर दिए जाएंगे। उन्होंने सिर्फ एक विचार दिया है कि यह भी एक रास्ता है। जहां तक मैं सीएम को जानता हूं, वह चर्चा व बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। किसी को यह नहीं समझना चाहिए कि सीएम ने कह दिया और बाजार उठकर चले जाएंगे। यह लंबी प्रक्रिया है। रातों रात कुछ नहीं होगा। पहले इस दिशा में बाजार संगठनों से बातचीत होगी, जो बढ़िया निदान होगा उसपर काम होगा।
इस दिशा में ध्यान देने योग्य बात है कि वर्ष 2011 में कैमिकल और पेपर मार्केट को नरेला व गाजीपुर स्थानांतरित करने की बात की गई। एक लंबा समय बीतने के बाद वे मार्केट वहां स्थानांतरित नहीं हुई है, क्योंकि, आदेश तो हो गए, लेकिन जल, सड़कें, बिजली व पुलिस जैसी आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था नहीं हुई। पूर्व की सरकारों ने उसपर कुछ नहीं किया।
ऐसे में फिर पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों की समस्याओं का क्या समाधान है?
– एक हल यह है कि पुराने बाजारों का ही पुनर्विकास हो, उसके लिए पहले बाजार को नजदीक ही वैकल्पिक स्थान विकसित कर वहां तत्कालिक रूप से ले जाएं। फिर पुराने बाजार को मल्टी स्टोरी मार्केट में विकसित करें। इसके बाद पुराने दुकानदारों को वापस लाए। ऐसा देश-विदेश में कई स्थान पर हुआ है। बुनियादी बात है कि यह सब बाजार संगठनों के आधार पर हो। अगर ऐसा होता है तो पुराने बाजारों को न सिर्फ पहले से ज्यादा जगह, बल्कि वातानुकूलित बाजार व पार्किंग की सुविधा मिलेगी।
अब ट्रिपल इंजन सरकार है? उसका कितना लाभ मिलेगा?
आज ट्रिपल इंजन की सरकार है। संवाद है और पीएम स्वयं चाहते हैं कि दिल्ली एक आर्थिक राजधानी बने। आपसी समझबूझ और समन्वय के आधार दिल्ली में यह किया जाएगा।
औद्योगिक क्षेत्र में उद्यमी परेशान है। वह दूसरे राज्य जा रहे हैं। उनके लिए क्या किया?
– सभी औद्योगिक क्षेत्रों की हालत काफी खराब है। अगर आधारभूत सुविधाओं के साथ उद्यमियों को सिंगल विंडो सिस्टम मिले तो वहां उत्पाद क्षमता बढ़ सकती है। उत्पाद के स्टैंडर्ड बढ़ जाएंगे। इसी तरह, उद्यमी के लिए एकल लाइसेंस की व्यवस्था हो। इस दिशा में काम आगे बढ़ रहा है।
उद्यमियों का आरोप है वायु प्रदूषण के नाम पर उन्हें दिल्ली से बाहर करने की साजिश हो रही है?
– उद्योग किसी भी राज्य की जान होती है। मेरा मत है कि हम दिल्ली में एक निवेशक समिट करें। अन्य राज्यों के उद्योगपतियों को बुलाएं। डीडीए से बात कर बाहरी इलाके में हम नए-नए बड़े उद्योग लगाए, जिससे दिल्ली में राजस्व व रोजगार बढ़ेगा। प्रदूषण रोकने के और रास्ते है, जिसपर दिल्ली सरकार ताकत से काम कर रही है। केंद्र की एक योजना ईपीआर की है। हम उसपर काम करेंगे।