वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या मामले में अब एक बड़ा मोड़ आ गया है।
पूरन कुमार के परिवार की मांग पर पुलिस ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति (SC/ST) अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2)(B) को भी एफआईआर में शामिल कर लिया है।
अब आरोपी को हो सकती है आजीवन सजा
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, धारा 3(2)(B) के तहत अगर किसी सरकारी अधिकारी को जातिगत आधार पर प्रताड़ित या अपमानित किया जाता है, और इसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु होती है, तो दोषी को आजीवन कारावास और भारी जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
इससे पहले दर्ज एफआईआर में अधिकतम 5 साल की सजा वाली धाराएं जोड़ी गई थीं, लेकिन अब मामला और गंभीर हो गया है।
परिवार ने जताई पुलिस कार्रवाई पर नाराजगी
पूरन कुमार के परिजनों का कहना है कि पुलिस मामले में पर्याप्त सख्ती नहीं दिखा रही है और कई आरोपी अधिकारी अभी भी अपने पदों पर कार्यरत हैं। परिवार की ओर से बार-बार मांग की जा रही थी कि जांच को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ाया जाए।
8 अक्टूबर को दी थी जान, सुसाइड नोट में लिखे थे 15 नाम
गौरतलब है कि 8 अक्टूबर 2025 को हरियाणा कैडर के 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार ने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने घर में आत्महत्या कर ली थी।
उनके 9 पन्नों के सुसाइड नोट में हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर, मुख्य सचिव, और अन्य 15 वरिष्ठ अधिकारियों के नाम शामिल थे।
पूरन कुमार ने अपने पत्र में लिखा था कि उन्हें जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और प्रशासनिक दबाव का सामना करना पड़ रहा था, जिससे तंग आकर उन्होंने यह कदम उठाया।
सरकार पर बढ़ रहा दबाव
मामले के गंभीर होते ही हरियाणा सरकार पर भी दबाव बढ़ गया है। विपक्षी दलों ने प्रशासनिक संवेदनशीलता की कमी और भेदभावपूर्ण रवैये पर सवाल उठाए हैं।
वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने भी इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा था कि “पूरन कुमार जैसे ईमानदार अधिकारी की आत्महत्या समाज और सिस्टम दोनों के लिए गंभीर चेतावनी है।”