पठानकोट: पंजाब की राजनीति में ऑपरेशन ब्लू स्टार का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के हालिया बयान ने पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। तरनतारन उपचुनाव की सरगर्मी के बीच यह विवादास्पद टिप्पणी कांग्रेस को बैकफुट पर ले आई है, जबकि विपक्षी दलों को सियासी हमले का बड़ा मौका मिल गया है।
सोमवार को तरनतारन उपचुनाव की नोटिफिकेशन जारी हुई और नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई। इसी दौरान चिदंबरम ने कसौली में दिए एक इंटरव्यू में कहा कि “1984 में स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार का तरीका सही नहीं था, जिसकी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जान देकर कीमत चुकानी पड़ी।”
इस बयान ने पंजाब में कांग्रेस की स्थिति को विकट बना दिया है और पार्टी की स्थानीय लीडरशिप में चिंता का माहौल है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, चिदंबरम का यह बयान चुनावी माहौल में विपक्षी दलों के लिए “सियासी हथियार” बन गया है। अकाली दल, भाजपा और आम आदमी पार्टी अब इस मुद्दे को अगले एक माह तक कांग्रेस के खिलाफ भुनाने की पूरी तैयारी में हैं।
स्थानीय स्तर पर कांग्रेस पहले ही टिकट बदलने की अफवाहों और आंतरिक असंतोष से जूझ रही थी। ऐसे में चिदंबरम की टिप्पणी ने पार्टी के रणनीतिक समीकरणों को और जटिल बना दिया है।
जानकारों का कहना है कि यह बयान न सिर्फ पंजाब बल्कि पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस की छवि पर असर डाल सकता है। पार्टी की प्रदेश इकाई इस बयान से दूरी बनाने की कोशिश में जुटी है, जबकि हाईकमान अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दे पाया है।
बीजेपी और अकाली दल के लिए मौका:
इसी बीच, केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने ऐलान किया है कि भाजपा पंजाब की 117 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि अकाली दल अब सिख समाज में अपनी प्रतिष्ठा खो चुका है, इसलिए उसके साथ गठबंधन का कोई अर्थ नहीं रह गया।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि अगर पंजाब में चार-कोणीय मुकाबला (कांग्रेस, आप, भाजपा, अकाली दल) बनता है, तो परिणामों का अनुमान लगाना मुश्किल होगा।