Chandigarh: पंजाब के किसानों के लिए एक बड़ी अपडेट सामने आई है। राज्य सरकार ने 12 नवंबर से धान (झोने) की खुली खरीद बंद करने का निर्णय लिया है। यह कदम कथित तौर पर पड़ोसी राज्यों से सस्ता धान लाकर पंजाब की सरकारी एजेंसियों को बेचे जाने वाली फर्जी खरीद (बोगस परचेज) पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है।
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा जारी आदेशों के अनुसार, अब राज्य में किसी भी खरीद केंद्र पर धान की खरीद केवल डिप्टी कमिश्नर की पूर्व मंजूरी से ही संभव होगी। यह नई व्यवस्था तुरंत पूरे पंजाब में लागू की जा रही है।
फोटो के साथ होगी धान खरीद की पुष्टि
सरकार का नया प्रोटोकॉल**
पारदर्शिता बढ़ाने और फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सरकार ने एक नई प्रक्रिया लागू की है। धान की खरीद के समय:
- किसान
- खरीद एजेंसी का इंस्पेक्टर
- मंडी बोर्ड का सुपरवाइजर
इन तीनों को फसल के ढेर/बोरी/स्टॉक के पास खड़े होकर ग्रुप फोटो लेना अनिवार्य होगा। यह फोटो खरीद के दस्तावेजों के साथ अपलोड की जाएगी।
सरकार को क्यों उठाना पड़ा यह कदम?
सूत्रों का मानना है कि कुछ लोग पड़ोसी राज्यों से सस्ता धान लाकर पंजाब की मंडियों में बेच रहे थे, जिससे सरकारी खरीद में अनियमितता बढ़ रही थी। सरकार का दावा है कि नई प्रक्रिया ऐसे हर फर्जी प्रयास पर रोक लगाएगी।
अब तक की सरकारी खरीद
पंजाब में सरकारी धान खरीद 15 सितंबर से शुरू हुई थी, लेकिन बारिश और बाढ़ के कारण बड़ी मात्रा में फसल अक्टूबर से मंडियों में पहुंची।
- अब तक खरीदा गया धान: 149.31 लाख मीट्रिक टन
- कुल अनुमानित आवक: 155 लाख मीट्रिक टन
12 नवंबर से लागू नई मॉनिटरिंग प्रक्रिया
यदि किसी जिले में 12 नवंबर के बाद धान खरीद करनी होगी, तो:
- जिला मंडी अधिकारी मामला डिप्टी कमिश्नर को भेजेगा।
- डीसी SDM या कार्यकारी मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारी को तुरंत मंडी भेजेगा।
- अधिकारी खरीद प्रक्रिया की सीधी निगरानी करेंगे, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

