पंजाब की राजनीति में बड़ी हलचल, ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने लिया चौंकाने वाला फैसला
अमृतसर | Punjabi Doordarshan
पंजाब की राजनीति में एक बार फिर बड़ा सियासी भूचाल देखने को मिला है। शिरोमणि अकाली दल (पुनर सुरजीत) के अंदरूनी मतभेद एक बार फिर सामने आ गए हैं। पार्टी की एक अहम बैठक में पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने पार्टी के प्रेसिडेंट पद से इस्तीफे की पेशकश कर सभी को चौंका दिया।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के कुछ नेताओं के लगातार विवादित बयानों और अनुशासनहीनता से नाराज़ होकर ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने यह फैसला लिया। हालांकि बैठक में ही उनकी इस पेशकश को स्वीकार नहीं किया गया, लेकिन इस घटनाक्रम ने पंजाब की सिख राजनीति में कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
विवाद की जड़: मनप्रीत सिंह अयाली के बयान
इस पूरे घटनाक्रम की मुख्य वजह पार्टी नेता मनप्रीत सिंह अयाली के हालिया बयान को माना जा रहा है। अयाली ने कहा था कि वह किसी गुट का हिस्सा नहीं हैं और उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों का पालन करना है, न कि किसी राजनीतिक गुटबाजी में शामिल होना।
उनके इस बयान से पार्टी में पहले से चल रहे मतभेद और गहराते चले गए, जिससे माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया।
“मुझे पद की कोई इच्छा नहीं” — ज्ञानी हरप्रीत सिंह
सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि उन्हें कभी भी पार्टी प्रेसिडेंट बनने की इच्छा नहीं थी और अब भी इस पद पर बने रहने की कोई चाह नहीं है। उन्होंने पार्टी में अनुशासन की कमी पर गहरी नाराजगी जताई और कहा कि इस तरह के बयान पंथक एकता को नुकसान पहुंचाते हैं।
बैठक के बाद मीडिया द्वारा पूछे गए सवालों पर उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
पार्टी पूरी तरह एकजुट — बीबी जागीर कौर
इस मामले पर पार्टी की सीनियर नेता बीबी जागीर कौर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कोई इस्तीफा नहीं दिया है और न ही उनसे इस्तीफा मांगा गया है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि वह कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं।
बीबी जागीर कौर ने कहा,
“वह हमारे प्रेसिडेंट बने रहेंगे। पार्टी पूरी तरह एकजुट है और हम सभी पंथ के हित में मिलकर काम करेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की चर्चाएं पार्टी को कमजोर करने की कोशिश हो सकती हैं, लेकिन पार्टी पहले से ज्यादा मजबूती के साथ आगे बढ़ेगी।

