सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई की बेंच के सामने केंद्र बनाम दिल्ली सरकार का मुद्दा आया. इस दौरान दिल्ली की नई रेखा गुप्ता की सरकार की तरफ से बेंच के सामने अपना हलफनामा दाखिल किया गया. साफ-साफ शब्दों में कह दिया गया कि उनका केंद्र सरकार से कोई बैर नहीं है. केंद्र और दिल्ली सरकार मिल-जुलकर काम को आगे बढ़ा रही है. इसके बाद बिना देरी किए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को केंद्र के खिलाफ अपनी याचिकाओं को वापस लेने की इजाजत दे दी. दिल्ली में पहले आम आदमी पार्टी की सरकार थी. 10 साल तक केंद्र बनाम दिल्ली सरकार की लड़ाई हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में देखने को मिली.
एलजी- AAP सरकार के बीच होता था तकरार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आम आदमी पार्टी (AAP) के शासनकाल के दौरान उपराज्यपाल (LG) के अधिकारों को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं वापस लेने की अनुमति दे दी है. मुख्य न्यायाधीश यानी CJI) बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी की दलीलें दी. AAP सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान उपराज्यपाल के विभिन्न निकायों में अधिकारों और उनकी भूमिका को लेकर कई याचिकाएं दायर की थीं.
2018-2019 में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
इन याचिकाओं में दिल्ली सरकार और LG के बीच शक्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद उठाए गए थे, जो दिल्ली के विशेष प्रशासनिक ढांचे के कारण बार-बार चर्चा में रहे. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी 2018 और 2019 में इस मामले पर महत्वपूर्ण फैसले सुनाए थे, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि उपराज्यपाल को संवैधानिक ढांचे के तहत कार्य करना होगा और निर्वाचित सरकार की सलाह को प्राथमिकता देनी होगी. केवल दिल्ली पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि के मामले में एलजी के पास अधिकार रहेंगे.
हमारी फीस भी दिलवा दो जनाब
सुनवाई के दौरान एक वकील ने AAP सरकार के कार्यकाल में नियुक्त अधिवक्ताओं की लंबित फीस के भुगतान का मुद्दा उठाया. यह मुद्दा उन वकीलों के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्होंने इन याचिकाओं पर काम किया था, लेकिन उनकी फीस अब तक बकाया है. कोर्ट ने इस पर तत्काल कोई आदेश नहीं दिया, लेकिन यह मामला भविष्य में प्रशासनिक और वित्तीय जवाबदेही के सवाल खड़े करता है.