दिल्ली में आज SYL पर मीटिंग:केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल की अगुआई में बैठक

सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर को लेकर आज एक बार फिर दिल्ली में पंजाब CM भगवंत मान और हरियाणा CM की केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अगुआई में मीटिंग होने जा रही है। इससे पहले 4 सप्ताह पहले 9 जुलाई को हुई बैठक हुई थी, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल पाया था। हालांकि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शर्त रख दी थी।

सीएम मान ने कहा था कि कि उन्हें पानी देने में कोई दिक्कत नहीं, लेकिन शर्त ये है कि पहले पंजाब को रावी का पानी मिले। SYL पर पंजाब का स्टैंड स्पष्ट है। ये नहीं बनेगी। हरियाणा हमारा भाई है, हमें पानी मिलने पर आगे पानी सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं है।

मीटिंग से पहले CM मान और CM सैनी ने गले मिलकर एक-दूसरे का स्वागत किया था। सीआर पाटिल की अगुआई में दोनों स्टेट के CM की ये पहली मीटिंग हुई और पॉजिटिव माहौल में बात हुई थी।

मान ने मीटिंग के बाद मीडिया से कहा कि बातचीत बहुत अच्छे माहौल में हुई है। हरियाणा CM ने भी कहा कि मीटिंग सार्थक रही। पंजाब-हरियाणा दोनों भाई हैं। दोनों का एक ही बेहड़ा (आंगन) है। इस मुद्दे का रास्ता निकालने का काम किया जा रहा है।

 

सीएम ने सुलझाया था बीच का रास्ता

मान बोले- पंजाब में लाया जाए रावी का पानी पंजाब के CM ने कहा कि मीटिंग से एक उम्मीद बनी है। पहलगाम अटैक के बाद पाकिस्तान से रद्द हुआ इंडस वाटर समझौते का पानी पंजाब लाया जाए। झेलम का पानी पंजाब नहीं आ सकता है, लेकिन चिनाब और रावी का पानी आ सकता है। पौंग, रंजीत सागर डैम और भाखड़ा डैम में होते हुए ये पानी आ सकता है।

हमें उस पानी को आगे हरियाणा को देने से क्या दिक्कत है? हरियाणा तो हमारा भाई है। हम भाई घन्नैया के वारिस हैं, जिन्होंने दुश्मनों को पानी पिलाया था। मैंने मंत्री साहब से कहा कि 23 मिलियन लीटर फीट (MAF) पानी वहां से जाएगा। हम तो दो-तीन MAF के लिए लड़ रहे हैं, तो हमें क्या दिक्कत रह जाएगी?

दो-चार नहरें पंजाब में बन जाएंगी। इससे पंजाब फिर से रिपेरियन बन जाएगा। उनकी बात पर मंत्री पाटिल ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। हालांकि SYL के मुद्दे पर पंजाब का स्टैंड साफ है।

13 अगस्त से पहले सहमति बनाने की कोशिश जारी

SYL 212 किलोमीटर लंबी है इससे पहले की बैठकें बिना नतीजे रही थीं। 212 किलोमीटर लंबी इस नहर में हरियाणा का 92 किलोमीटर हिस्सा बन चुका है, जबकि पंजाब के 122 किलोमीटर हिस्से का निर्माण अब तक अधूरा है। यह मीटिंग 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले दोनों राज्यों के बीच सहमति बनाने की कोशिश है।

सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2002 में हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया था और पंजाब को नहर निर्माण का आदेश दिया था, लेकिन 2004 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में कानून पास कर 1981 के समझौते को रद्द कर दिया था।

पहले 4 बार हुई है मीटिंग

इस मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा के सीएम की पहली मीटिंग 18 अगस्त 2020 को हुई थी, जबकि दूसरी मीटिंग 14 अक्टूबर 2022 और तीसरी मीटिंग 4 जनवरी 2023 को हुई थी। इसके बाद आखिरी बैठक 9 जुलाई को हुई थी। लेकिन इनमें कोई सहमति दोनों पक्षों में बन नहीं पाई थी।

SYL नहर का पूरा विवाद

  • पंजाब ने हरियाणा से 18 नवंबर, 1976 को 1 करोड़ रुपए लिए और 1977 को SYL निर्माण मंजूरी दी। बाद में पंजाब ने SYL नहर के निर्माण को लेकर आनाकानी करनी शुरू कर दी।

 

  • 1979 में हरियाणा ने SYL के निर्माण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पंजाब ने 11 जुलाई, 1979 को पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।

 

  • 1980 में पंजाब सरकार बर्खास्त होने के बाद 1981 में PM इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों राज्यों का समझौता हुआ। 1982 में इंदिरा गांधी ने पटियाला के गांव कपूरी में टक लगाकर नहर का निर्माण शुरू करवाया।

 

  • इसके विरोध में शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने SYL की खुदाई के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता हुआ, जिसमें पंजाब नहर के निर्माण पर सहमति जताई गई।

 

  • 1990 में 3 जुलाई SYL के निर्माण से जुड़े दो इंजीनियरों की भी हत्या कर दी गई। हरियाणा के तत्कालीन CM हुक्म सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की कि निर्माण का काम BSF को सौंपा जाए।

 

  • 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने 2002 को पंजाब को एक वर्ष में SYL नहर बनवाने के निर्देश दिए। 2015 में हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के लिए संविधान पीठ बनाने का अनुरोध किया।

 

  • 2016 में गठित 5 सदस्यों की संविधान पीठ ने पहली सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को बुलाया। 8 मार्च को दूसरी सुनवाई में पंजाब में 121 किमी लंबी नहर को पाटने का काम शुरू हो गया। 19 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति के आदेश देते हुए नहर पाटने का काम रुकवा दिया।

 

  • 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य नहर का निर्माण नहीं करते हैं तो कोर्ट खुद नहर का निर्माण कराएगा। अभी 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए नोटिस जारी किया है।

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