पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा को बेटे ने दी मुखाग्नि:फेवरेट लाल पगड़ी में अंतिम विदाई

पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा को लुधियाना स्थित उनके पैतृक गांव पौना में अंतिम विदाई दे दी गई है। गांव के सरकारी स्कूल के पास वाले ग्राउंड में ही उन्हें बेटे दिलावर ने मुखाग्नि दी। सिंगर को अंतिम विदाई देने के लिए गांव में फैंस की भारी भीड़ जुटी रही।

संस्कार वाली जगह पर उनकी यादगार भी बनाई जा सकती है। इसी जगह पर पहली बार राजवीर जवंदा ने मंच पर गाना गाया था। अंतिम संस्कार से पहले जवंदा की हादसे के बाद की पहली तस्वीर सामने आई। उनके सिर पर लाल रंग की उनकी फेवरेट पगड़ी पहनाई गई थी। 11 दिन मोहाली के अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद हादसे के बाद से उनकी कोई फोटो सामने नहीं आई थी।

जवंदा के अंतिम दर्शन के लिए CM भगवंत मान भी गांव पहुंचे। जहां उन्होंने जवंदा के पैतृक घर में रिश्तेदार व पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री की सेलिब्रिटीज के साथ उनके अंतिम दर्शन किए। सिंगर कंवर ग्रेवाल, कुलविंदर बिल्ला, एमी विर्क भी परिवार के साथ मौजूद रहे।

जवंदा का कल, बुधवार (8 अक्टूबर) को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में निधन हुआ था। उन्होंने 35 साल की छोटी उम्र में बुधवार सुबह 10:55 बजे आखिरी सांस ली। फोर्टिस अस्पताल ने मेडिकल बुलेटिन में बताया कि जवंदा का मल्टी ऑर्गन फेलियर हो गया था।

निधन के बाद उनकी डेड बॉडी पहले मोहाली में उनके सेक्टर 71 स्थित घर में ले जाई गई, जहां मां, पत्नी और बच्चों ने उनके अंतिम दर्शन किए। इसके बाद मोहाली के फेज-6 स्थित सरकारी अस्पताल में पोस्टमॉर्टम कराया गया।

 

गांव में शोक की लहर

गांव के गुरुद्वारे में राजवीर के लिए रोज अरदास की जा रही थी। लेकिन उनकी मौत की खबर से गांव में मातम छा गया। सरपंच गुरप्रीत सिंह राजू ने कहा कि राजवीर के लिए न तो कोई दवा काम आई, न ही दुआ।

पुलिस अधिकारी थे पिता

1990 में जन्मे राजवीर जवंदा के पिता करम सिंह पंजाब पुलिस के अधिकारी थे और मां परमजीत कौर घर संभालती थी। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सन्मति विमल जैन सीनियर सेकेंडरी स्कूल जगरांव से प्राप्त की, फिर उच्च शिक्षा के लिए डीएवी कॉलेज जगरांव से ग्रेजुएशन की। इसके बाद उन्होंने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से थिएटर एंड टीवी में पोस्ट ग्रेजुएशन की। कॉलेज जीवन में ही उनका कला प्रेम जगजाहिर हो गया था। उन्होंने कॉलेज यूथ फेस्टिवल में 11 ट्रॉफियां और इंटर यूनिवर्सिटी सिंगिंग प्रतियोगिता में दो बार गोल्ड मेडल जीता था।

जब राजवीर 6-7 वर्ष के थे, उनके गांव में दूरदर्शन का कार्यक्रम मेरा पिंड मेरे खेत फिल्माया गया। उस समय उनकी मां परमजीत कौर गांव की सरपंच थीं और शूटिंग उनके घर में हुई। टीम ने जब छोटे राजवीर से एक कविता सुनी, तो उनकी आवाज की प्रशंसा की और उन्हें संगीत की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी। यही पल था, जब जवंदा ने तय कर लिया कि उनका जीवन संगीत को समर्पित होगा।

साल 2014 में पंजाब पुलिस में भर्ती होने के बावजूद उनका दिल संगीत में बसता था। इसलिए उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ हाथ में माइक थाम लिया। 2018 में उनका पहला गीत “कली जवंदे दी” रिलीज हुआ, जो सुपरहिट हुआ।

सोशल मीडिया पर भी उनका दबदबा था। फेसबुक पर उनके  9.87 लाख और इंस्टाग्राम पर 2.7 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स थे। यूट्यूब पर भी एक मिलियन से ज्यादा लोग राजवीर जवंदा को फॉलो करते हैं।

बाइक राइडिंग के शौकीन थे

राजवीर अपने कॉलेज के दिनों से ही बाइक राइडिंग और कैंपिंग करने के शौकीन थे। उनके कॉलेज के दिनों के दोस्त उनके साथ लेह लद्दाख तक बाइक का सफर तय कर चुके हैं। राजवीर के पास कई लग्जरी बाइक थी जिस पर वह पहाड़ों में राइडिंग के लिए अक्सर जाया करते थे। 27 सितंबर को जिस बीएमडब्ल्यू मोटरसाइकिल से वह हादसे का शिकार हुए, उसे उन्होंने एक महीना पहले ही 28 लाख रुपये में खरीदा था।

राजवीर ने पंजाब में कई राइडिंग क्लब भी ज्वाइन किए हुए थे जिनके साथ ही वह अपने सफर पर जाते थे। पहाड़ों में वे टेंट लगाकर रहना पसंद करते थे।

पैराग्लाइडिंग भी करते थे

राजवीर को बाइक राइडिंग के अलावा पैराग्लाइडिंग का भी शौक था और वो पहाड़ों के अलावा अपने गांव पाैना के आसमान में भी पैराग्लाइडिंग किया करते थे।

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