पंजाब सरकार ने एक कड़ा कदम उठाते हुए एचडीएफसी बैंक को डीएम्पैनल कर सभी संबंध तोड़ लिए हैं। राज्य सरकार ने यह कदम उस समय उठाया है जब पिछले दिनों सभी विभाग को अलॉट किए गए पैसे वापस देने को कहा गया। माना जा रहा है कि एचडीएफसी बैंक ने समय पर यह राशि ट्रांसफर नहीं की जिससे सरकार के वित्तीय लेनदेन प्रभावित हुए।
इस बात का सख्त नोटिस लेते हुए वित्त विभाग ने सभी विभागों के सचिवों, डायरेक्टरों, पंचायतों, डेवलपमेंट अथॉरिटी व बोर्ड कार्पोरेशनों को पत्र लिखकर कहा है कि एचडीएफसी बैंक राज्य सरकार के समयबद्ध वित्तीय लेनदेन को पूरा करने के लिए भेजे जा रहे आदेशों का पालन करने में सहयोग नहीं कर रहा है।
इन स्थितियों को देखते हुए एचडीएफसी बैंक से किसी भी प्रकार का सरकारी बिजनेस बनाए रखना मुश्किल है। इस कारण एचडीएफसी बैंक को डीएम्पैनल किया जाता है। उससे कोई सरकारी लेनदेन न किया जाए।
वित्त विभाग ने सभी विभागों को बैंकों की एक सूची जारी की है और कहा है कि इनमें से किसी भी बैंक से लेनदेन किया जा सकता है। इनमें सेंट्रल बैंक, पंजाब ग्रामीण बैंक, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इडिया ,यूनियन बैंक आफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, एक्सिस बैंक, आईडीबीआइ बैंक, कैपिटल स्माल फाइनांस बैंक, एयू स्माल फाइनांस बैंक, पंजाब स्टेट कोआपरेटिव बैंक, कोटक मोहिंदरा बैंक, येस बैंक, फेडरल बैंक व बैंक आफ महाराष्ट्र शामिल हैं।
इस वर्ष केंद्र सरकार ने पंजाब की कर्ज सीमा में 16 हजार करोड़ रुपए की कटौती कर दी थी। राज्य सरकार ने इस वर्ष 48 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेना था जिसमें से पिछले कर्ज पर 24 हजार करोड़ रुपये देने पड़ते हैं। इसके अलावा इस कर्ज का एक बड़ा हिस्सा पिछले कर्ज का मूल चुकाने में जाता है। ऐसे में 16 हजार करोड़ रुपये की कटौती के बाद राज्य की वित्तीय स्थिति बिगड़नी तय है।
पहले तिमाही के अंतिम महीने में अपने जरूरी खर्चों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार की ओर से विभिन्न विभागों को उनके खर्च को चलाने के लिए दिया गया पैसा राज्य सरकार ने वापस मंगवा लिया है। इसको लेकर पांच जून को मुख्य सचिव की अगुआई में एक बैठक भी हुई थी जिसमें ये आदेश पारित किए गए थे कि सभी विभाग फिलहाल इस पैसे को जमा करवा दें। पता चला है कि जिन विभागों का पैसा एचडीएफसी बैंक में था उन्होंने इसे खजाने में जमा करवाने में ढील बरती।